असली सत्यार्थप्रकाश | Asli Satyarthprakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
578
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सत्याथं प्रकाश क) छडालेदड । [ १३ ]
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करने का श्रायसमाजियोंकों कोई अधिकार नहींदहै। पेशावर
चाले मुकदमे का फलला सामने आने पर तो आयसमाज की
गर्दन श्रब तक लज्ज़ा से नीची हा जाती है और यदि सन्
७५ बाला सस्यार्थ प्रकाश ही असली है शेष सत्र नकली हैं।
यह बात भी अदालत मे सिद्ध होगई दे ता आ्रायसमाज की
बची बचाई प्रतिष्ठा भी घुल में मिल ज्ञायगी। आशा है कि
दम भरने वाले हमारे आयसमाजी मित्र इस व्यर्थ के भगड़े
मे समाज का और सनातनधर्मियाँ का घन नष्ट न करा्वेगे।
मुकदमा चलन के धार आन्दोलन म॑ भ्रायसमाज के
प्रसिद्ध पन्न ' वदुध्रकाश” न भाद्रपद् संवत् १६०८ म लिखा
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क्या झारयसमाज कोट में जायगा ।
“पं० कालराम शास्त्री ने पुराना सत्यार्थप्रकाश छापा है।
उस पर मुकदमा चलाने को आयंमित्र दा मास से उसका
रहा दे | हमारी समभ में पुराने सत्यार्थप्रकाशसे श्रायंसमाज
को विशेष हानि नहीं होगी किन्तु लाभ ही अधिक है । मूर्ति
पूजा का, पुराणों का, भूतप्रतों का, तीथों का, अवतारवाद
का सभी का खण्डन उत्तम दे। केवल श्राद्ध का घपला है
खो स्वामी जी ने पुराने सत्य,थे प्रकाश से १ चर्ष पूथं सन्
७8 में पंचमदायश्ञविधि में मृतक भ्राद्ध का खएडन कर दिया
है। २--मांस प्रररण को सनातनी भो नहीं मानते हैं।पेसी
दशा में डस पर मुकदमा चलाकर उसकी ओर प्रसिद्धि कर
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