मनुष्य कृत्य सार | Manusya Kritya Saar
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
107
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२
गीताम भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि राजा राष्ट इते ণা
धत्या दके अनुसा/ गजा राप्ट्के पापोंका भी भोक्ता दोता है ।
उन नरेंशों के मुकाबलेमें यह प्रकट करते हुए असीम हृ
होता है करि हमारे सच्चरित्र नरेश महोदय को यह दोष या दुर्गेण
किंचित्मात्र भी हू नई पाया । श्रीमान् ननो হও पृशित আছ কক
सेस्तरयं तो ध्रणा है ही पर प्रजा में भी व्यभिचारके दोषी पर पू |
भप्रसन्नता रहती है ओर उन्टें न्यायालयों द्वारा महान कठिन दंड
दिये जाते हैं रिससे अन्य प्रजाजनों पर इसका »च्छा प्रभाव पड़े |
नरेन्द्र मंदलमें श्रोगाव का उच्च सम्मान--
हमार সামাল नरेंन्द्र-मंडल में प्रस्तावित गृत्थियों गो ऐसी
धरलतासे सुलभा देंते हैं कि मंडलके नरेशों को श्रीमान् की इस
युवावस्थरमे ऐसी चमत्कारिक बुद्धिनानी पर आश्रयारिवत होकर
मुक्तमठमे प्रतोसा करनी पड़ती है। वािक अधिवेशन ए का ।
कारिणी की बेठकों में श्रीमान के स|म्मलित होने की प्रतीक्षा को
जाती है ओर आपकी स “मान्य, सर्वोत्तम सम्मतियों का +मपूर्नक
सम्मान एवं स्वागत किया जाता है | एक वपोवृदू ओर अनुभवी
नेरेशके समान श्रोमा+ को उपरोक्त चमन्काःक बुद्धिमानीका ही
_ यह परिणाम है कि हमारे पूज्य नरेश नरेन्द्र मंडल की कार्यका-
रिणी समिति ( 8879092 (00:77710666 ) के सदत्य अपने
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