प्रवचनसारभाषा कवित्त | Pravachansaar Bhasha kavitt

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Pravachansaar Bhasha kavitt  by शिवांश कुमार - Shivansh Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० प्रवचनसारभाषाकथित (१८४), पुण्य पाप का फल हेय है (१८५), शुभाशुभ क्रिया बंध का कारण तथा श्रुत क्रिया मुक्ति स्वरूप है (१८६), पुण्य पाप में भेद नहीं है (१८७), शुद्धोपयोगी का स्वरूप (१८७), पापारंभ छोड़कर शुभ क्रिया करने मात्र से शुद्ध आत्मा की प्राप्ति नहीं है (१८९), मोह सेना को जीतने का विचार (१८९), मोह का विनाश होने पर शुद्ध आत्मा का लाभ है (१९१), अरहंत ने स्वयं अनुभव कर उसे ही एक पोक्षमार्ग बताया है (१९२), शुद्धात्म लाभ के पातक मोह का स्वभाव और भूमिका (१९३), अनिष्टकारी होने से त्रिविध मोह नाश करने योग्य है (१९४), मोह के नाश के उपाय का विचार (१९५), जिन प्रणीत शब्द ब्रह्म में सभी पदार्थों का यथार्थ कथन है (१९६), मोह नाश का उपाय जिनोपदेश है जिसके लाभ का उद्यम पुरुषार्थ कहलाता है (१९७), स्व-पर भेदविज्ञान (१९८), स्व-पर भेदविज्ञान की सिद्धि जिनागम से करना योग्य है (१९९), बीतराग कथित पदार्थ के श्रद्धान विना धर्म लाभ नहीं (२००), मुनि का स्वरूप (२००)। ज्ञेयतत्त अधिकार २०२-३११ पदार्थ का लक्षण (२०२), पदार्थ को द्रव्य गुण पर्याय रूप न मानने बाला परसमप मिथ्यादृष्टि है (२०२), स्वसमय परसमय का कथन (२०३), द्रव्य का लक्षण (२०४), स्वरूपास्तित्व का लक्षण (२०४), सादृश्य अस्तित्व का लक्षण (२०५), दोनों का विस्तार कथन (२०६), द्रव्य से सत्ता की पृथकता नहीं (२०८), सत्‌ (द्रव्य) का लक्षण (२०९), उत्पाद व्यय और पध्रौव्य परस्पर जुदे नहीं ই (২০৭), उत्पादादि के समय भेद नहीं है एक ही समय में तीनों हैं अत: इनकी युगपत्‌ नय संज्ञा है (२११), एक द्रव्य पर्याय रूप द्वार से उत्पाद व्यय भ्रौव्यता का कथन (२१२), सत्ता ओर द्रव्य परस्पर अभिन्न है (२१४), पृथक्त्व ओर अन्यत्व का लक्षण (२१५), यह शिष्य का तर्क (२१७), गुरु का उत्तर (२१७), दृष्टान्त पुरस्सर अन्यत्व का लक्षण (२२०), द्रव्य मे गुण गुणी का सर्वथा अभाव रूप भेद नहीं मात्र अतद्भाव है (२२१), सत्ता स्वरूप द्रव्य के गुण गुणी भाव है (२२२), गुण गुणी का भेद द्रव्य से नहीं है (२२३), सत्‌ का उत्पाद ओर असत्‌ का उत्फद




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