प्रेरणा प्रवाह | Prerna Pravah

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Book Image : प्रेरणा प्रवाह  - Prerna Pravah

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भद्दिसामूउक करुणा ९ छह मजा तक मद विप्यार पहुच्ा है सौर सद्घोग पर मी पावस्दी सयाती है बददं और विचार मी सामने साठा है । सद्दासनामां का त्याग दो हो सर्वोत्तम | मिटा राजस साहार है । छेड्न फश्प दर कौ इष्टा दो भौर भू रूगे, भर सूप सइन नहीं देती इसक्य लाना दी पढ़ें गद रपचारी की झपण्या मी नहीं सानी 'ताइिए । समय फर शाप लेडिन शुपा की पीड़ा सइन नहीं कर स$से ऐसी दाल्ठ न शासे। ऐसी में भपने प्र ही इमारी सत्ता नहीं रइती । जिन बासनामों से मनुष्य आजादी सतत भर कातू प्योता है उन बाधनाथी को मी काबू मैं. की कोशिश दोनी 'बाइिए। इसडिए फडाइर को निरादार का विचार भागा | शाराश बासनाओं के नियकरण का अम या दोगए ! १ का त्याग ४ शशखना मी लचकों उपलब्ध ने दो, टो उसका स्पांग १ सद्दासना दो सेकिन उसके मोग में म्पत्ञा भीर ४ को काबू में के रिए सदासना का स्पाग) इत्र कार्पकतौ-सिपिर से ८




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