वेणी संहारम नाटकम | Vemni Sanharam Natakam

Vemni Sanharam Natakam by श्री भट्टनारायण - Shri Bhattnarayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पर ही इसका अर्थ इस प्रकार किया जा सकता है कि वह नाटक जिसमें वेणी के संहार (= केशपाश के बन्धन) का वसन किया गवा ३) इस अर्थ का बोध कराने फे लिए व्याकरण की दृष्टि से इस शब्द को व्युत्यस्ति दो प्रकार से की जा सकती है :- १. वेश्या: संहार: वेसीसंहार:, वेणीसंहारमधिकृत्य कृत॑ नाटक वेणीसंहारं नाटकम्‌ । यह पर “श्रधिङृस्य इते मन्थे (पा. ४, ३, ८७ ) इस, पाशिनि-पत्र से श्रण्‌ प्रस्यय करने के बाद पुनः ्ुशाखायिकाभ्यो बहुलम्‌” इस कात्यायन-वार्तिक से उसका लोप कर देते ह । इस प्रकार व्युत्पत्ति करने पर इस शब्द का श्रर्थ यह द्वोता है कि “वह नाटक, जो वेणी के संहार को श्रपना प्रतिपाथ विधय बना कर लिखा गया है, वेशीसंहार नाटक कहलाता है। २. दुसरा प्रकार बहुब्रीहिसमास का है, जिसके अनुमार इसकी व्याख्या निम्न प्रकार से की जा सकती है :-- “'वेण्या: संह्वारो (ब्येते) यस्मिन नाटके तद्‌ वेणीसंदार नाम नाटकम्‌ ।' अथोत्‌ वह नाठक जिसमें वेणी के संहार का वर्णन किया गया है,. वेणीसंहार नाटक कहलाता है। यद्यपि पूर्वोक्त दोनों प्रकार की व्युलत्तियों में शब्दों का मेद अवश्य है परन्तु फलितार्थ दोनों का एक है और दोनों के अनुसार यह शब्द नाटक इस शब्द का विशेषण दी बनता हे । श्रत्न दूसरा प्रश्न जो ऊपर दी गई दोनों प्रकार की व्युथतत्तियों को ध्यान से देखने पर हमारे सामने आता है वह यह है कि वेशी के संहारे, जो कि. इस नाटक के कथानक का प्रधान आधार है, लेखक का क्या तात्पर्य है और ११




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