न्याय युक्तियाँ | Nyaya Yuktiyan

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Nyaya Yuktiyan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ক্ষ न्याय युन्तियाँ ६ [९१ एसा बहुत हुए क्षायार्य মহালাস আঘী কটা প্রইীহা দর £ 6 यही पुरा सम्यस्दृष्टि दुढिणार दे फो देव शास्त्र शुरू पी पूता भक्ति 'एय पर, নান ধল্যাপ कर्ता ঘর্দী बुद्धिमान है। एर दी अरली भक्ति पापा वा नाश परे, मुक्ति मार्ग परत प्रचानता महान है! दर्शन चारिवरादि विया म सम्पन हुपा छसा जीव आमा का कर्ता कस्यात है। निर्य भगवा वी जो भक्ति बर मुसति दे, बहु जीय सम्यद रायुक्त धर्मवान हि >-भगवान बुदएुद आचाय और णां जौय पिया कारण अपेज्ञा के पुण्य भर पुण्यानु- बाधी पुण्य फो भी यथ का, घ्रमण फा कारण মানত ये ही करों मद्दापुयगो-पुर्यप्रदृतियों या जपस्तान व्रत है| किमु संग वान कुलु नाषाय तोर्थक्रा-पुण्यप्रशतिया की अपक्षा पुण्य वा आदर सामान करते हुए आवकों জা पुण्य संयय वा उपदेश देते हैं। जो विमा कारण पुण्य थो भी यचव पारण मायते। भगवान कं अनिका घ॒र्मा को नहीं थे फानते ॥ ये पुण्य प्रह्ति महा तीर्थकर यद पुण्याप्मा } भूले दए ६॑ पुण्य उनडे-पुण्यद्रोही आत्मा | परते अहित निज न्मा ते पुण्य हीन घना रहे । “ शी ष्कदेषु दाचार्यं भगवन 1 पुण्य मदन पररह ॥




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