मम्मी | Mummy

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Book Image : मम्मी  - Mummy

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

सआदत हसन मंटो - Saadat Hasan Manto

परिचय :-

जन्म : 11 मई 1912, समराला (पंजाब)

भाषा : उर्दू

विधाएँ : कहानी, फिल्म और रेडियो पटकथा, पत्रकारिता, संस्मरण

मुख्य कृतियाँ

कहानी संग्रह : आतिशपारे; मंटो के अफसाने; धुआँ; अफसाने और ड्रामे; लज्जत-ए-संग; सियाह हाशिए; बादशाहत का खात्मा; खाली बोतलें; लाउडस्पीकर; ठंडा गोश्त; सड़क के किनारे; याजिद; पर्दे के पीछे; बगैर उन्वान के; बगैर इजाजत; बुरके; शिकारी औरतें; सरकंडों के पीछे; शैतान; रत्ती, माशा, तोला; काली सलवार; मंटो की बेहतरीन कहानियाँ
संस्मरण : मीना बाजार

निधन : 18 जनवरी 1955, लाहौर (पाकिस्तान)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भर स्वर में कहा- मसुकसे अजीज साहब ने भी. यही कहा था। लकिन सजादत साहब में पूछती हूँ इसमें जुर्म की कोन सी वात है। अपनी ही तो चीज है। और इन कानून बनाने वालों को यह भी मालूम है कि बच्चा नप्ट कराते हुये तकलीफ कितनी होती हे- बड़ा जुर्म है। म एकदम हस पडा-- अजीबों गरीब औरत हो तुम जानकी के जानकी ने भी हसना शुरू किया-- अजीज साहब भी यहीं कहा करते हे। हसते हुये उसकी आखों में आँसू आ गये। मेरा अध्यन हैँ जो श्रादमी निष्ठावान हो हसते हुये उसकी आखों में जरूर आसू भा जाते है। उसने अपना बेंग . . . खोल कर रुमाल निकाला और आँखे पोछ कर भोले बच्चों की तरह पूछा- सभादत साहब बताइये क्या मेरी बाते दिलचस्प होती हू? मेने कहा-- बहुत 1 भ््त हर ४ _ 227 इसका सुबूत उसने सिगरेट सुलगाना शुरू कर दिया-- भई शायद एऐसा हो। मे तो इतना जानती हूँ कि कुछ कुछ बेवकूफ हूं। ज्यादा खाती हूं ज्यादा बोलती हूँ ज्यादा हसती हूं । अब आपही देखिये न ज्यादा खानें से मेरा पेट कितना वढ गया हैं। अजीज साहब हमेशा कहते रहे जानकी _ कम खाया करो पर मंने उनकी एक न सुनी । सआदत १७ ला




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