दिलेर माँ | Diler Maa
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
जितेन्द्र कौशल - Jitendra Kaushal
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बर्तोल्त ब्रेख्त - Bartolt Brekht
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मा
अप्सर
ऐलिफ
मा
'हवलदार
मा
अफसर
मा
अफसर
मा
अफसर
ऐलिफ
मा
अफसर
मा
१७
जगन जाने क्व वामवग पहुचे। इतज़ार न कर सकी
तो यहा चली जाई।
यह दोनो बैल इस गाडी को खीचते हू । बैल ओ बल।
कभी काठो से वाहर भी निवलते हो ?
मा--एक भापड दू इसके बुथडे पर?
जहा हो वही रहो । हा तो साहिबो पिस्तौल वे खोल के
बारे में क्या रयाल है। या पंटी वेटी ही देख ला। तुम्हारी
तो बिल्कुल बेकार हो गई है हवलदार
मैं तो किसी और ही चीज की तलाश मे ह---तुम्हारे बेट
देवदार वे पेड की तरह लम्बे तदगे हं । मजर शरीर,
चौडी छाती | यह इतने तगडे जवान फौज के वाहर क्या
रह रहे है ?
(जल्दी से) मेरे वच्चे -और फौज में ?
क्यो ? पस्ता मिलेगा, सम्मान मिलेगा। जूते चटखाते
फि्रिना तो औरतो का काम है। (ऐलिफ से)
इधर आओ । देखें सही यह पटठे मज़बूत भी है या ऐसे हो
चर्बी चढी है !
ऐसे ही चर्बी चढी है---धूर कर देखा तो बहोश हा जाए !
और एक आध भेड वक्री दबा क्र मार डालें क्या?
(ऐलिफ को घकेलने को कोशिश करता है।)
हाथ मत लगाआ यह फौज के जिए नहीं है।
मेरे चेहरे को बुथेडा कहुता है--ज रा दस तो सही व्सके
হদন্বন |
परवाह मत क्रो मा ! इससे निपट सकता हु |
रुक जाआ तुम्हे भी दगा क्यि बपर चन नही पडता ।
इसने ভুল মী चाकू छूपा रखा है और मारना भी जता है।
वह तो मैं ऐसे निकाल लूगा जेसे मक्खन में से बाल
आओ मेरे सोहल क्यूतर
ख़बरदार ! मैं करनल से कह कर लम्ह ववाटर মাহ ন
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