अन्विषक | Anvishak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
374
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(८)
राज्य करता दे ओर बह्त सन्ताते के মাধ সা
को प्राप्त शंता हुवा दीधोयुसवाहा होता है और
आपके लिये यददी मेरी हादिक इच्छां है, ओर
मेरी इखर से भी यही ग्राथना है ।के आप इस
पुस्तक की शिंक्षां अनुसार स्वस्ति सुख शान्ति
स्थिति परवेक सो देंष राज्य करे क्याके मेरा मुरुय
सिधान्त ये है कि-- ६५
विधना अपने दाथ से तोठे सव कम्म
सो सुकृत इक पारे एको साम धम्मे ॥
यांने सोमधम से बढ के इस संसार में कुछ
नक्ष त्न मन धन जो मालिक के काम में आवे
तो फेर इससे उत्तम ओर क्या हो सकता है ओर
मेरा आसिक मावः भा मेरे सच्चे हृह पसिधान्त
साम धम्म में रहे इसी के अनुसार इस राज विद्या
की पुस्तक को राजा प्रजाओं के डिये अत्यन्त
दितकारी समझ समय समय पर इस स्वामी को
मदत देता हुवा यथा शक्ति दृब्य व्यय का भार
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