काव्यादर्श | Kavyadarsh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
250
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
विपयों का समावेश क्या है और उनपर अपनी तक प्रणाटी से नया
प्रकाश डाला है । यह ग्र॑य दूस उछास मर्वैटा है और केवल 1४२ कारिका
में काप्य शास्त्र के सभी विषय आा गए है। इन्होंने अन्य कवियों के छ
सौ उदाहरण उद्धत क्रिए हैं। इस प्रथ की হেনা মী অক ঘা অহ
नाम के भी पक पिद्वाल का हाथ था। यह ग्रंथ इतना छोकग्रिय हुआ
कि इसपर प्रायः सत्तर टीकाएँ लिखी गईं । यह ग्र'य ग्यारह्ष्वीं शताब्दि
के अंत या बारहवीं के आरम्म में लिखा गया होगा।
रुव्यक का अलकार सर्वस्तर भी अस्यात म्र'थ है । यह ध्यनि पक्ष के
समर्थक थे । इन्होंने भी उदाहरण प्रायः दूसरों ही के रखे दें भौर कई
সাধ ভি हैं। इनके शिप्य महुक ने अपने गुरु की रचना में कही कहीं
कुछ अपने সাথ से लेकर जोढ़ दिया है। रय्यक का समय बारहवीं
आताब्दि का सध्य है।
वाग्मद्ट का बाग्भटालंकार दो सौ साठ इलोफों का छोटा सर प्रंथ है
जो पाँच भ्रष्यायों में थंटा हुआ है। यह बारहवीं शतादििद के अंत में
डपरिथित रहे गि । हेमचन्द्र का काव्यानुशासन सूत्र, छत्ति सथा दीका
तीन भाग में हे । छुछप्र'ध में « अध्याय हे । यह काव्यमीमांसा, ष्वन्या-
लोक ओर काव्य प्राश के आभाधार पर संकल्ति हुआ है। यह जैन साहि-
न्यिकों मे प्रमुप हुए हैँ और इन्होने खूब लिखा है। इनका जन्म सन्
৭০৫৫ ছু» ঈ লী সন্ত লু ११७२ ई० में हुईं थी 1
पीयूपवर्ष जयदेंव कृत चन्द्रालोरु अत्यंत उपयोगी ग्र'थ है। इसमे
सादे तीन सौ इलोफ है और दस सयूख मे दिभाजित है । उदाहरण इन्हों
ने निज के दिये है तथा विशेषत एक ही इलोक मे लक्षण भौर उदाहरण
दोनों दिया है, जिससे विद्यार्थियों को याद करने में बड़ी सुगमता होती
है। इनके पिता का नाम महादेव और मावा का नाम सुमित्रा था ।
इन्होंने प्रसन्ष राघव नाटक भी लिखा था। इनका समय तेरहवों शताब्दि
दा आरम्भ द्वो सकता है। यह ग्रंथ इसी मारा सें हिन्दी अजवाद सहित
भकाशित हो चुका है 1
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