यात्रा स्वप्नोदय | Yaatraa Swapnodaya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : यात्रा स्वप्नोदय  - Yaatraa Swapnodaya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जॉन बन्यन - John Bunyan

Add Infomation AboutJohn Bunyan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भाग ३१ स्वगंपुर का बस्ान & विस्तार पूर्वक कहो कि जहां हमें जाना हे वहां केसे कैसे पदाथं हैं और उन का भोग हमें किस रोति से प्राप्त होगा # ख्रोष्टियान ने उत्तर दिया साई यद्द बात जैसी मन में स्पष्ट ज्ञान पड़ती है वैसी कद्द नहीं सकता हूं पर तुम्दें जो सुनने की इच्छा है तो में अपनी पुस्तक द्वारा कुछ कुछ खुनात हूं । दुचित्ता बोला भाई कया तुम को निश्चय जान पड़ता कि जो जो बात तुम्हारी पुस्तक में लिखो हैं वे सब सत्य हैं । खोष्टियान ने कहा हां वे खब निःन्देद सत्य हैं क्योंकि यह पुस्तक सत्यवादी इंश्वर का क्चन है। तीतुस १ २ दुचित्ते ने कहा झच्छा तुम्हारी इस पुस्तक में क्या क्या लिखा है सो कह खुनाझा । स्रोष्रियान ने उत्तर दिया यह लिखा है कि एक अनन्त राज्य है और हमें अनन्त जीवन दिया जायगा जिस करके दम सचवंदा उस राज्य के झघिक्रारी होवें । यशायादद ४५. ४ १७ । योहन १० २७- ९२८ दुचित्ता ने कहा यह ता तुम अच्छा कहते हो पर उस में और क्या लिखा है। स्रीष्टरियान नें कहा उस में यद्द भी लिखा है कि उस स्थान में तेजोमय मुकुट हैं. झोर सूयंसम तेजवान वख्र दिया जायगा जो हमारे शरीर का अत्यन्त शोभा देगा 1 २ तिमोधिय ४ ८ । घ्रकाश सर म्पू। मत्ती १३ थे दुचित्ता कहने लगा श्राद्द ये सब पूर्व वस्तुएं हैं भला श्र भी कुछ है | सोष्टियान बोला हां व्दां दुःख वा केश का लेश नहीं है कारण यह कि वहां का स्वामी शाप सब के झांसू पौछु देता है अर्थात्‌ सब को श्रानन्दित कर देता है । यशायाह २५. ८। प्रकाश. ७ १६ १७ झर २१ थे दुचित्ते ने कहा मसला हम वहां जायेंगे तो कौन कौन हमारे संगो होगे । खीश्टियान ने कहा वहां महा तेजस्वी दूतो के साथ रदेंगे जिन के तेज से नेत्र




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now