यूरोप की चित्रकला | Europ Ki Chitrkala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
211
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यूरोपीय पापाण-कालीन चित्रकला. १५१
गज सम्दी और १ गज चौड़ी है। दीवारों पर अनेक पशु अकित हैं। दीवारे सभी स्थानों पर पूरी तरह चित्तो से
सुसज्जित है। विशाल फक्ष के अन्त में एक छोटी दीपिका खुलतों है। यह सीधी घलती हुई चट्टानों में लीन हो
जाती है। इसमे भी अनेक सुन्दर भित्ति-चित्र अकित हैं। कक्ष की बागी ओर की दोवारो मे से एक और मार्ग अन्य
गुफा क्री ओर जाता है जो कुछ ऊँवाई पर स्पित है। यहाँ अनेक उत्लोण चित्त हैं। इसके भीतर २३ पट गहरी
मुस्ण को पार करे फे उपरान्त एक नीची वीथी मेभ हिम युग का एक वर्णनात्मक वित्त दै जिसमे धायस महिष को
वषा हज भाता, सीगो से वार करने की मुद्रा मे पशु तथा उसके सामने एक मनुष्य भूमि पर ओँधे मु ह गिरा हुबा
भक्तै । अग्रधूमि में एक टू 6 पर बैठा हुआ पक्षी अकित है और वायी ओर एक गैह़ा दूर जाता हुआ चित्रित
किया गया ६1 समस्व संयोजन फलि रग से चित्रित है भौर पाह्य रेवा किचि घुंधली है। इस हश्य के अनेक
अर्धं तगये गये है 1 फोई इते दुःखान्तं कथानक का यकन वताता है, कोई इमे केवल भमषेट-टष्व भौर कोई याहुक
भावना से युक्त चित्त बताता है।
यहाँ जो उत्तम चित्त धने हैं उतका उल्लेख अप्रासंग्रिक मे होगा । वशात कक्ष का एक ताम कती
वृपमो (४५०९४) बाला कक्ष” মী ই | হকি चित्र वटे मामकं है जिनमे रीन पूणं तथा एकं मपू भवि
अंकित हैं। कोई लठारह फुट लम्बाई में अकित ये चित्त हिमयुगीन क्रो का एक विशिष्ट पक्ष हैं। सीमाएँ काले
रंग से चित्नित हैं और प्रवाहमयी रेखाओं के माध्यम से प्रस्तुत की गई हैं। शरीर का भीतरी भाग काले रभ से
या काले विल्दुओं से (विशेषकर उदर रेखा, थूथत एवं पैरों को) रगा गया है । सीगो का अकन थ्रुटि पूर्ण है
जो समस्त करिस्नेशियन कला की विशेषता है। खुर भी इसी भाँति अकित हैं। इतकी आक्ृतियों के वीचे इनसे
पते गहरे सान र द्वारा चित्रित जंगली ,वृषभो की आकृतियाँ वदी है। इसी वर्ग मे वह साकृति ই জিব জীন
वाता अश्व (८15०४) कटा गया है । विशाल फ फौ वॉयीं दीवार पर वती यह प्रथम आकृति है। इसकी सीमा
रेखाएं बड़ी सपाठेदार हैं, शरीर एवं पैर शक्तिशाली हैं। पशु फो भ्रुवावस्था प्रतीत होती है । इसका रूप गहे
अथवा वृषभ से वहत साम्य रखता है किन्तु छोटा शिर निमे से वहत म्बे सीग निले हैं, वर्ड विचित्र हैँ भौर
इस पशु को यथोय जगत से निकालकर पौराणिक जैसा बना ददै द । वत एव पृष्ठ भाग विन्दुमय है तथा पू छठ
बहुत छोटो है । यह यातो कोई पौराणिक पृषु है या पशु वेश मे मनुष्य है। इस प्रकार के यद्यपि कई विचित्र पशु
फ्रॉकोकप्टावरी क्षेत्र मे चित्रित हैं तथापि यह सबसे अधिक विचित्र दै ।
वागी मौर फ़ दीवार पर चित्ित बामने-सामने देखते हुए दो दृषभो के मध्य अनेक छोटे हरिण भित्नित
हैं जिकके सीय बहुत विशाल है। वे भी गहरे लाल रंग मे चित्रित होने के कारण उपेक्षते प्राचीन समै नति
हैं। युतीकोने के निकट एक वा अख्व भी चित्षित है। उसके शरीर मे लाल-बादामी रग भरा है नतु शिर, पीठ
तथा पैर काले हैं। एक अन्य अश्व भी इसी प्रकार का है। इसके नीचे छोटे-छोटे कई अश्व कुदान भरते हुए चित्रित
हैं। निकट की गैलरी मे मो काति देदह कते है वे नसे मिलते-जुलते हैं।
महौ एकं गाय भी चित्नित ই তিক शरीर मे पहले भरे हुये लाल रग पर
काला रा भर दिया गया है जिससे यह चित्र वहुरगा वैसा लगता है । यहाँ
बड़े सुन्दर छोटे-छोटे अश्य भी गहरे लाल रग फे मूष एव हके तात रग
के शरीर द्वारा चित्नित है। कुछ के शरीर पर रोम-राजि का आभास दिया
गया है। लाल-बादामी रंग की गायें भी वदो हैं। दीच में कहीनकद्दी
রর हं पुराती आइतिया झ्लकती हैं और फीते के जाल के समान कुछ चिन्ह भी
२--छाल पथा काले रा में अंकित बने हैं। क्या ये जाल हैं अयवा क्रीडा के हेतु अकित चौपड़ जैसा कोई
विशाल पाय (लासो) बेच है ?
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