हिंदी कहानियों का विकास | Hindi Kahaniyon Ka Vikas

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Hindi Kahaniyon Ka Vikas by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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'[ ११ ] कहानीका सचा विकास रुनी केतकीकी कहानोसे हुआ है। आधुनिक खड़ी वोलीके साहित्यका विकास, छल्ललाछजी ( प्रेमलागर वाले ) के समय यानी १८ वीं शताब्दी ई० के आरम्भसे दी हा दै । छल्छलालके समकालीन सदर मिश्च, इंशा-अल्लाह खाँ ओर मुंशी सदासुखछाल थे । सदर मिश्रका 'नासिकेतोपाख्यान? हिन्दी कहानीका पहला रूप है ; किन्तु यह एक पोराणिक कथा है। रानी केतकीकी कहानी-- राजकुमार हिरनके पीछे घोड़ेपर जाता है। वह उसे नहीं मिता; अतएव थककर्‌ विश्राम लेना *(हता है। उसने देखा “अमराइयों? में बहुत सी युवतियां मूलेपर मूछ रही थीं। वहीं रानी केतकीसे भेट होती दै । एक दूसरेकी अंमृठियोंका परि- वर्तन होता है । घर चले आते हँ। विवाहकी बातचीत चलती | दैं। रान केवकीका पिता अखीकार कर देता है । दोनो रज्यसि युद्ध आरम्भ होता दे । रानी केतकीके पिताके शुरु आते है । मंत्र द्वारा, राजकुमार ओर उसके माता-पिता हिरन बन जाते है । ; टुत दिनक वाद्‌ रानी केतकीके प्रयल्नोसे फिर गुरुजी अते हें । गुरुजी इन्द्रको छते है ! राजकुमार, उसके माता-पिता आदि फिर मलुष्यके रूपमें हो जाते हैं । अन्तमे राजकुमार ओर रानी केतकीका विवाह हो जाता हे । (ख)




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