हिंदी कहानियों का विकास | Hindi Kahaniyon Ka Vikas
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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कहानीका सचा विकास रुनी केतकीकी कहानोसे हुआ है।
आधुनिक खड़ी वोलीके साहित्यका विकास, छल्ललाछजी
( प्रेमलागर वाले ) के समय यानी १८ वीं शताब्दी ई० के
आरम्भसे दी हा दै । छल्छलालके समकालीन सदर मिश्च,
इंशा-अल्लाह खाँ ओर मुंशी सदासुखछाल थे ।
सदर मिश्रका 'नासिकेतोपाख्यान? हिन्दी कहानीका पहला
रूप है ; किन्तु यह एक पोराणिक कथा है।
रानी केतकीकी कहानी--
राजकुमार हिरनके पीछे घोड़ेपर जाता है। वह उसे नहीं
मिता; अतएव थककर् विश्राम लेना *(हता है। उसने देखा
“अमराइयों? में बहुत सी युवतियां मूलेपर मूछ रही थीं। वहीं
रानी केतकीसे भेट होती दै । एक दूसरेकी अंमृठियोंका परि-
वर्तन होता है । घर चले आते हँ। विवाहकी बातचीत चलती
| दैं। रान केवकीका पिता अखीकार कर देता है । दोनो रज्यसि
युद्ध आरम्भ होता दे । रानी केतकीके पिताके शुरु आते है ।
मंत्र द्वारा, राजकुमार ओर उसके माता-पिता हिरन बन जाते है ।
; टुत दिनक वाद् रानी केतकीके प्रयल्नोसे फिर गुरुजी अते हें ।
गुरुजी इन्द्रको छते है ! राजकुमार, उसके माता-पिता आदि
फिर मलुष्यके रूपमें हो जाते हैं । अन्तमे राजकुमार ओर रानी
केतकीका विवाह हो जाता हे ।
(ख)
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