भजन संग्रह दूसरा भाग | Bhajan Sangrah Dusra Bhaag

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Bhajan Sangrah Dusra Bhaag  by वियोगी हरि - Viyogi Hari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५) भजन | पृष्ठ राम कट्दो राम कहो; राम कहो बावरे. **' १६४ सदा सोहागिन नारि सो *** হও साँचा तू गोपाल, साँच तेरा नाम है. ` १५८ हरि समान दाता कोड नादी ˆ १५६ हमसे जनि रगेत्‌ माया এ चरनदास अब घर पाया दो मोहन प्यारा ˆ * १७५ कोइ दिन जीवे तौ करः गुजरान न १७५ गुरु हमरे प्रेम पियायो हो - १७४ जिन्हें हरिभगति पियारी हो भन १७३ झूलत कोइ कोइ संत लगन ভিভীভনী *** १७२ डुक रंगमहलमें आव कि निरगुन सेज बिछी ** १६६ इक निरगुन चे सँ कि नेह लगाव री ˆ“ १६७ तरस লং নন ইভী, হাল-লিভন कब होयगो १६७ प्रेमनगरके माहिं होरी होय रही = दद मो बिरदिनकी बात हेली, बिरहिन होइ जानिहै १६८ वह पुरुषोत्तम मेरा यार १७१ समञ्च रस कोडक पावे हो “° * १७० साधो निंदक मित्र हमारा “* १७३




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