आयुर्वेद दर्शन | Ayurved Darshan

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Ayurved Darshan  by श्री राजकुमार जैन - Mr. Rajkumar Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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। । सप्तदश अध्याय... कार्पकरण भाव एवं बाद निरुपण कारण का स्वरूप एवं भेद सभवायि कारण असमयायि कारण (निमित्त कारण) आयुर्वेद भे कायकारण भाव কতবার असत्कार्यवाद पस्साणुवाद स्वभायोपरमवाद क्रिणामवाद जिक्तवाद कंमभगूरवादं पीसुपाक-पिरुरपाक अनेकान्तवाद अध्टादश अध्याय-तस्त्रथुक्ति विशानोय तन्त्रयुकित को उपयोगिता तन्वयुकति का प्रयोजन तन्जयुक्तियों की सख्या अधिकरण योग दायं हेत्वर्थं जह्‌ श निर्देश उपदेश अपदेश भ्रदेण अतिदेश अपवग वाक्यशेष अथापसि विपयेय प्रसंग एकान्स अनेकान्त पूर्वपक्ष निर्णय अनुमत विधान अनागतावेक्षण भतीतयवेक्षण सशय व्माश्यान स्वसा निक्र्ने निदशन नियोग টুন ম विकल्‍प उच्च प्रत्युत्सार उद्धार, सम्भव एकोनविश अध्याय व्यास्या कल्पना ताच्छील्य भर्थाभय एव तन्त्रदोष पचदणविध व्याख्या सप्लदश कल्पना सप्तदश ताच्छील्यं एकविंशति अर्थाश्रय ১১০৬] खतुदश तन्ब दोष বি २६६ ३४ ३ ७ २१३ ३१५ ३१७ ३३१ २२ ३२७ ३९५ ३३५ ३१९ ३३१ ९३२२ ३३३ है रेट ३३५ ३३६ ३३७ (1 ३३६ ३४१ ३४२९ ६४७ ३३६ ३५३ ४५६ ष्ण




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