महाभारत वनपर्व | Mahabharat Vanparv
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
33 MB
कुल पष्ठ :
713
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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झध्याय ] ॐ भाषाञ्ुवाद सहित # (१०२४ )
नने रम्ये तयेव सह व्यवाहरदथ चत्तष्णार्दितः श्रान्तो5तिमुक्त- ॥
कागारमपश्यत् ॥ १६ ॥ অত प्रविश्य राजा सह प्रियया. सुध।-
। कृतां विमलां सलिलपू्ा वापीमपश्यत्- ॥२०॥ दृइ्ट व च ता #
तस्याश्र तीरे सहैब तया देव्यावातिष्ठत ॥ २१॥ अथ तां देवीं ॥
स राजात्रवीत् साध्ववतर वापीसलिलमिति | सा तद्गचः भ्रुत्वा- (
वतीयं वां न््यमज्जन्त पुनरुदमज्जत् ॥ २२॥ तां स मूर्गयमा- ;
णो राजा नापश्यद्वापीमथ निःस्ताव्य मण्ड्क श्वश्रसुखे दृष्ठा कुद |
आज्ञापयामास स राजा ॥ २३ ॥ सवंत्र मण्डकवधः क्रियतामिति- |
-यो मयार्थी स मां मतमणड्कोपायनमादायोपतिष्ठेदिति)॥ २४-॥ |
श्रय मण्डूकवधे घोरे क्रियमाणे दिज्ल सर्वा मण्द्कान् भयमा्वि- ।
के साथ रमणीय वन में गया और विहार करने लगा,एक समय &
उसको भूख ओर प्यास लगी उसकी पीड[से वह थक गया
था इततेमें उसक्रो. वासंती लताका मण्डप दीख़ा ॥१६॥. तेव वह | ू
, अपनी प्रियाक्रे साथ उस वांसंतीमएडपमें गया और तहां उसने चूने £
। से पुती हुईं निमेल नलसे भरीहई. एकं वावदी देखी ॥२०॥ उस
वावदीको .देखते दी .राजां.उसःरानी.सदित वावृ्ीकरे तट पर जाकर (
खड़ा हुआ और उसने रानीसे कहा कि-देवि! आहा कैसी अच्छी 7
वावढ़ी है तू इस মানবী जलमें जनतर॥२१॥ रानी राजाके फहने है
को सुनकर. वावड़ीमें उतर पढ़ी ओर उसने जलमें गोता . लगाया. |
परन्तु वह फिर जलमेंसे वाहर न निकली.॥ २२ ॥राजाऩे वाव- £
| डीके जल. में उसे. व्रहुत दूंढा परंतु वह न् दिखाई दी, तव उसने |
| वावडीका जल उलिचां दिया. ओर फिर देखा तो उस, वाबढ़ी ॥
† में एक विलके भीतर एक मेंडकक़ों ही पायां उसको देखकर रा- ॥
। जांफो- क्रोध आगया . र -राजाने शज्ञा, दी कि~॥.२३ ॥ |
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दिगो,
| जहां,२ मेंढक हों तहां २ सब स्थानोंमें उनका नाश करो, त॑था
| जिसका मुझसे कुछ काम हो .वह भी मरेहुए मेंडककी भेंट लेकर. &।
` ¢ सामने आरे ॥ २४.॥ राजाकी आज्ञा होने पर मेडकोंका মহাম- 7
পক যন্ত্র নবান্ন ই
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