वृहत् ज्योतिष सार सटीक | Vrihat Jyotish Saar Sateek
श्रेणी : ज्योतिष / Astrology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
360
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)+ ~= न ক বস :- 5 (৯২৩ (त 9 হত स ज ककन > त्तं =:
1 ॥ 27 ५ ২ ২০৯ = इ ৯১ ) ২২২ £ রি ২
| 4 সি ২ ২, ^ श क. र १ টে পা | 3 ₹
< £ ১২71 ঢা 2 ২৮757 56 1] (| এ धः नि भ ५
५ „४ 1 ঢু লু } 1% মী | ২) 1
1 00) দি (
1 {4 € 11 | 18 ষ্ঠ
| ।
1 রর ऋ क
05 4 ४) 1
সখ नि ज
र म च रु
সপ
कन्त
०८72० का
4 क সি ९
क পপ
করা
१ ~~
>+ ५ 1 ৮)
রঃ भ्र 1 এ
¶
8
६
11 $
५ 110 ॥ 44
(1
|
82222
২
च ৯ ऋ
हैं » „1 श + ए न = अहि লন শি
1. ২১ ६ শা 2 শা এ সহিত পলি টিন
4
[ ष এ পি 4
দে श ५१ ¦ 1 += ५4 न्म ष ५ + *
च ॥ ल শে [ए ~ क.
9 4 1148, রতি তত ক = ६ ৩৭ (৯ ৩ ক 0
৮24২ ? 1 ११
1) 9 चै
{1
॥ +
8,
সূ | गे
(4
10
भष
লা । 4 ॥
1 ४4
9
! ५ ग्ण
५ ब
जय बुह्रज्यातरस्सार् << ॥
“ गखाधिपं नमर्ङ्ृव्य ज्योतिस्सारसरसंयहम्
सयनसयणः खव लाकाना हदकाम्यया। १ ॥
गणेशजी को नमस्कार करके में सयनारायण लोकों की
हितकामना के लियेज्योतिग्शाख के सारांश का संय अच्छी
: रीति से करंता हूं ॥ १॥
खथ संवत्सरोत्पात्तिव्योख्यायते ॥
शाककाल:एथक्सस्था छादवशत्था रब हतस्त्वथ।
भूनन्दाश्व्यत्धि ४२९१ युग्भक्की बाणशेलगजेन्दुमि:
१८.५४५. ! १ लाब्थयार्वहतःषट्या ६ ० शषसस््यगतव
त्सरा। | बाहस्पत्येनसानन अभवाद्या+क्रमाद्मा ॥ २ ॥
- शाका दोजगह रखना प्रथम को बाइससे गुणा करना उसमें
चारहज़ार दोसे इक्यानवे जोड़देना.तिससें एकहंज्ञार आठसे
` पचहत्तर का भाग जेना. जो अङ्क लब्ध मिले उसे दूसरे शाके
में जोड़देना।फिर उस अंडः में साठ का भाग देना जो शेष बचे
सो बहस्पातिं के मतसे प्रभवादिगत संवत्सर होते.हैं.ए २ 0
User Reviews
No Reviews | Add Yours...