अनुभवप्रकाश | Anubhavprakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सूगह्ाम् शी कुन्दकन्द-कहान जैन शास्त्रमाला पुष्प-दर
৬
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अ नमः
री -कनदरपचन्दनी शद ( काशलीवाक ) छत.
अनुभव प्रकारा
রা (क
मृदा चरण
गुण अनन्तमय परमपद, श्री जिनवर भगवान् ।
ज्ञेय ऋलखत हैं ज्ञानमें, अचछ सदा +निजथान [1१1
परमदेवाधिदेव परमात्मा परमेश्वर परम पूज्य जग
अन्नपम आनन्दमय अखण्डित भगवान निर्वाणनाथको नमस्कार `
करि अनुभय प्रकाश ग्रेथ करों हों, जिनके प्रसादतें पदार्थकाः
/ स्वरूप जानि निज आनन्द उपने ।
प्रथम यह खोक पढृद्रव्यका वन््या है। तामें पशण्छ:
के मु० लस्य) ~ मु० प्रतिमें ' निजथान ” के स्थानमें “निजस्थान ” কৃত
दिया है जिससे छन्द मङ्कु हो जाता है। ८ क. अनुभो ।
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