कल्किपूराण | Kalkipuran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अंलुक्माणेकी ।
विषय, ঘা,
वार्णीप्ते सूवाने पद्मावत्तीके साथ
सम्बाद करना अ
दति षष्ठोऽध्यायः ।
सतदयाध्याय |
सूवाने पद्मावतीकी ग्रशंत्ता करना
आर पद्मकतीने स्वाधिकृत विप्णुका
अर्चन वंदन ध्यान सूवाके प्रति
कहना ००५ ৯৫5 ०००० ,,,, ६२९
इति सप्तमोऽध्यायः |
(1৮৮৮
পথ নাওহদান2।
पद्मवर्तीके ग्रति सूत्राका हरिर्क
साङ्ग पजाविषयक प्रश्न... ««« ८९
पद्रावत्तीको सूवाफ प्रति ध्याने
चितनीय हका रूप कहना
आर सूवाका आदर करना ««« <॥
सवाके कहेहुए' कल्किजीके गुण
श्रवण करके कामातुर हुई
पद्मावतीने सवाके मुखद्वारा
विवाहके छिये काल्किजीकी
` प्राथना कलना „० ० ८७
भगवान् क्िजीकी' सवके सुख
स्वयंवरका वृत्तांत जानना और
घ)डेपर् सवार् हो ह्वाको साथ
लेकर सिहर पं जाना ,,,, ८९
मणिकांवनसे देदीप्यमान सिंहल-
हीपमें कल्किजीकों फारुमती
पुराकी शोभाका देखना और
सानादिकि लिये सरोवरम
ठहरना और स़वाने पद्मावतीकों
भगवानके आनेका संदेशा भेज-
नेकी प्रार्थना करना .... «»«» ९९
द्डाति प्रथमो5ध्यायः
हताय5्ष्यायृ:
सरोवरके सभीप जल छानेके मार्गमें
|
^ ्
রাডার বা,
(4৬)
विषय, पष्ठक
स्थित भगवान् कल्किजीने पद्मा-
নীল पाक्त सूष्को सेजना «« ९
सूवेका पतद्मावतीके पास जाना और
सम्वाद होना ১১১০ তির
जल्क्रीडाके मिपसे काल्किजीके देख-
नेक सखियों सहित प्द्यावत्तीका
सरोखमें आना. ««« 2০ তি
जढविहार करके कामसंतप्त हुईं
पद्मावर्तकों कद॒म्बके वृक्ष नीचे सोते
हुए कल्कि भगवान्का दुशन
करना ^ ৪75 ও
स्वयं जागे हुए भगवान् करिकजीकों
पद्मावतीका सोन्दर्य वर्णन
करना «७७७ क न्नः «९ ९<
इति द्वितीयो<ध्यायः
तुताय{ष्यायः ।
पद्यावतीका कर्िजीकौ स्तुति
करना जर काल्कजीकी साज्ञासे
घर आकर दूत द्वारा कल्कि-
जीका आगमन पिताको
निवेदन करना রা
पद्मावतीका विवाहके অর নুইল্থ
राजाका कल्किजीकों अपन घर
ठाना सीर पद्यादतीका विवाह
, करना ^ *७ , ५९१
स्रीभावको प्रप्त हुए राजाभोके
कल्किजीके दुशेनोंसे पुरुष भाव
हीना ^ «०० ५ ०९७५ 2)
पुरुषमावकी प्राप्त इए रानाञंको
मत्स्य आदि दुशावतार रूपेसे
कल्किजीकी स्तुति करना .... ९०४
इंते ततायाइध्याय:ः |
चतुथा5प्याय |
राजाओंकी स्तुतिसे अपत्न हुए
कल्किजीकों राजाओंके प्रति
« चार वर्णके धर्मोका उपदेश
करना ०००१ ९, १६
790७
१००
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