सुन्दर ग्रंथावली | Sundar Granthawali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
716
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुरोहित हरिनारायण शर्मा राजस्थान के जयपुर में पैदा हुए लेखक थे।
वह एक गरीब परिवार से थे और बचपन से ही साहित्य में उनकी रुचि थी।
बाद में उन्होंने किताबें एकत्र करना शुरू किया और कई किताबें लिखीं।
पुरोहित जी कई भाषाओं को जानते थे (लगभग 15)
इसलिए उन्होंने अपनी सभी 15 भाषाओं में अपनी किताबें लिखीं, जिन्हें वे जानते थे।
बाद में वे इतने प्रसिद्ध लेखक थे कि उन्हें एक बार जयपुर (आमेर) के राजा सवाई मानसिंह प्रथम के दरबार में आमंत्रित किया गया था।
वहाँ पर उन्होंने अपने हाथ से लिखी 2 किताबें जयपुर के राजा को दे दीं और आवंटित कुर्सी पर बैठ गए।
कुछ समय बाद राजा ने उसे अपने दरबार में नाज़िम (दौसा का) पद प्र
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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अग
२६-.विचार का अंग
२७--अक्षर विचार अग
र८--आत्मानुभव का अद्भ
२६-अह्व त ज्ञान का अन्भ
ज्ञानी का अड्ड |
क | ज्ञानी चार प्रकार भेद ।
( अन्योन्य भेद अग १--
अन्य भेद २
अन्य भेद् ३
अन्य मेद् ৪
| अन्य भद् ५
।
५ अन्य भेद् ই
३१८
८ शति साखी के अयो की सूचा ,) ।
कुक किमः
पठ ( भजन )
( १ ) राग जकडी गोडीः --
(१) देह कहै सुनि प्रानिया काहे होत उदास वे
(२) अल्ख निरजन ध्यावड ओर न जाचउ रे
( ३) तादि न यहु जग ध्यावई जातें सब रुख आनन्द होइ रे
(४) दरि भनि बौरी हरि भजु त्यज्जु नेहर कर मोह
पुष्ट
৩
७९३
२५९ £
০৫
८१९६-8 च
पुष
८५१
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