गोम्मटसार (जीवकाण्ड) | Gommatsaar (Jeevkand)
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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गमन्नेमिचन्द्राय नमः।
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९५
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0 ~ रणेरतमृषणोदयं जीवस्व प्रपणं वये ॥ 11
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कोः नमस्कार करके, जो उपदेशद्वारा पूवीचाये परम्परासे चला आरहा है इस ढिये
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दि न कनके कारण तथा रगादिका उत्पादक न हेनेमे निप्क्डक है, ओर সিল
ग गणरूपी रलमष्णोंकी प्राप्ति होती हैलनो विकथा आदिकी तरह रागका कारण
'है इस प्रकारके नीवप्रह्पण नामक अन्यको अथोत् निमे अशुद्धं नीके खट्प
परमद आदि दिखलये ই হত সন্ধা দু कहूँ गा।
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