सामायिक सूत्र | Samayik Sutra

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Samayik Sutra by भंवरलाल बोथरा - Bhavarlal Bothra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सामायिक-सूत्र | ११ फित्तिय वैदिय महिया ८ वचनयोग से कीर्तित मनयोग से पंदित और काययोीग से नमस्कृत जे ए लोगस्स उत्तमाभिद्धा = लोक में जो उत्तम पिद्ध हैं । आरुग बोहिलामं - आरोग्य वोधिलाभ समाहिवरमुत्तमंदिन्तु ८ उत्तम समाधि देवें । चंदेसु निम्मलललयरा = चन्द्रो से भी निर्मल आईच्णेसु अहिय॑ ८ धयों से भी अधिक पयासयरा > प्रकाश करने वाले सागर वर गंभीरा ८ অসুর के समान गम्भीर सिद्धा सिद्धि मम दिसन्तु 5 सिद्ध झके सिद्धि [मोक्ष] देवें। शा গত. ওলি আক বিরতি & - सामायिक लेने का पाठ:- करोमि भंते ! सामाइयं सावज्जं जोगं पचक्वामि जावनियमं & पज्जुवासामि दुविहं तिषिरेणं न करेमि न कारेमि मणसा वयसा कायसा तस्स भते! पडिक्कमामि मिदामि गरि . हामि अप्पाणं वोसिरामि । १५००००० जितनी सामायिक लेनी हो उतना मूहर्त प्रकद कहकर फिर प्रागे फट बोलना चाददिए ।




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