युगलसम्बाद बोधप्रकाश | Yugalasambad Bodhaprakash
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यगलंसम्बाद | ` ११
कारण उक्त अटपसुख की ओर मन को नही लभाना
तस्र सदेव अपने अन्तःकरण के खों पर दणि
` खना दुवासना के हटावतारहै मन इंद्धियों का निरोध
करतार पञ्च ओर वत्तमान जन्म मे जो पप कमे बन
गये हूँ उनका प्रायश्चित्त करे अदृष्टि अशुम कर्म का
मुख्य प्रायश्चित्त मगवद्भजन ओर गंगा स्नान है जिस
करके अनेक जन्मो के पाप कमं नाश को प्रप्त होतेह
नित्य कर्म ये हैं कि पिछले पहरसेरात्रि की जागना यथा
शक्तिमान संध्या न स्मरण गुरु देव और उपासकदेव-
' का करना फिर शोचसे निदत्त होकरके प्रातःकाल की
संध्याउपासना तांत्रोक्तओरवेदोक्त करकेगायत्रीकाजाप
करना मध्याह्कालमें मध्याहन संध्याकरपंचग्रासी बलि
वेर्वदेव अतिथि भागक्ररके मोजन करना फिर साय.
काल को सायकालकी संध्या उपासना करना ओर जो
नियम जप पाठ आदिकका हो से करना नेमित्त कर्म
पित श्राड तीर्थ पर्व ग्रहण समय जपहाीम ब्ह्यभाजना
दिक यथा शक्ति भगवत् जन्म दिवसके उपवासअष्टमी
. एकादशी आदिकके त्रत इन नित्य न॑मित्तिक कमंकरने
से नित्यके पाप दूरहोतेंह न करने में पापबढ़तहें चोये
देवी संपत्ति ओर आसरी जो श्रीकृष्णचन्द्र महाराजने
१६ सोलहवें अध्याय गीताजी में अर्जुन प्रति उप-
देश कियाहे आसरीका त्याग दैवीका ग्रहण करताजाय
कुछ संक्षेप करके यहां भी लिखा जाताहे त्यागर्क याग
हैं काम १ क्रोध २ लोम ३ मोह ४ निंदा ५ हिंसा ६
टेषों ७ मत्सरता ८ चोरी ६ प्रखोगमन १० भूठवा:
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