प्यारे बापू (स्वराज्य की ओर) | Pyare Bapu (Swarajya Ki Or)

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Pyare Bapu (Swarajya Ki Or) by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सराज्य की और 2६ कायरों का अन्हे | बल्वानांक्रा चतो अहिंसा और प्रेम ही है |! >त समय जरूर भूल हो गयी थी । गांधीजी १ <०,० ०,००० दिन्दुस्तानियों का का आजादी के नाम से मरने के लिए ढडाई म॒ तान दिया | विद्ययत का শালা लेकिन ज्यों ही लड़ाई खतम हुई, विटन अपने बचतों को भूल गया । उसने कहा हम आप लोगों को आजादी दा नही देना चाहते । आप छांगों की आवादी ३५ « ० !?०,००० है और आप लांग हमारा ही काम करते हैं । हम आपकी आजादी जादी देन क! ववङकफी क्यों करं १५ पुनकर हिन्दुस्तान कोप अव हम ब्रिटेन से ही वीखा दिवा । हमारी सन्तान 4 उटा | लोग कहने ठन डड़ाई लड़ेंगे। उसने हमें व्यथ मं बलिदान दई 12108 फाजय | नाह्षण-दरिजन ष्क हा ट्कर्‌ एक बड़ी लड़ाई की तयारी




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