नया सूरज | Naya Suraj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नया सूरज १६ “मैंने कह दिया ना, त्‌ जा सकता फोज में,” “दियेह क्रोध में चिल्लाया ओर अपना लम्बा पाइप उसने दा-श्वी के सिर पर ठोंका । ए, जिद्‌ करता, है --करेगा লিহ্‌ 1» दा-श्वी ने क्रोध में मुंह सिकोड़ा ओर काग पर लटक गया | लिदाफ से अपना सिर देका और उसे नींद आगई। अगले दिन सवेरे दा-श्वी का भाई कल्लू त्से खिलाफ उम्मीद शेज्या की वापस आगया | अब भी उसका स्वास्थ्य अच्छा था ओर वह उत्साहित व प्रसन्न- चित्त दिखाई देरहा था हाँ, उसके कपड़ों पर हर जगह पेचन्द ही पेचन्द लगे हुए, थे। दाश्वीको श्रव पिरि देखने पर उखकी मूलो के नीचे एक मुस्कराहट नाच गई। उन दोनों में खूब घुटी ओर वे देरतक गें लगाते रदे । पास-पडोसी ओर मित्रों को जब पता चला किं कल्ल आगया है तो सबके सब वहाँ आने लगे | स्पष्टादिता ओर ईमानदारी के लिए तो वह मशहूर था दीः इसीलिए लोग उससे बातें करने ओर उसके पास बैठने में आनन्द लेते थे। उसके दो कमरों का मकान जरा-सी देर में मुलाकातियों से भर गया | यह वह दौर था जब “कुमिताग ओर कम्युनिस्ट सहयोग” हो रहा था ओर कल्लू त्से के लिए कुछ छिपाने की जरूरत न थी। उसने अपने दोस्तो को युद्ध के बारे में बताया ओर उन नये आदरशशों का जिक्र किया जो सारे देश मे फेल रदे थे--यानी “जापानी साम्राज्यवाद को परास्त करो,” “सारे राष्ट्र को लामबद करो, “जनता क जीवन-स्तर वेहतर बनाओ” के आदश | ' ক্িভানী ন নই शब्दावली बडे मजे से सुनी । सन चले गये लेकिन दा-श्वी वहीं रुका रहा | उसके भाई ने बड़ी गौर से उसकी ओर देखा | “क्या तुम पराजित देश में गुलाम रहना. चाहते हो ९” कल्लू ने यकायक पूछ लिया | “देसा तो कोई भी नहीं चाहता,” दा-श्वी ने कहा । क्या ठुमने अभी- अभी हमें नही चताया कि वह कितना भयंकर होगा श? ६६5५६ “बहुत अच्छे |? कल्लू ने मंद स्वर में कहा, 'मिरे साथ काम क्रो হুল




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