दिल्ली सल्तनत | Delhi Sultanate

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारत पर अरबों, का आक्रमण | 5 न कोई स्थायी दफ्तर । उनके सभी कार्य स्वयंसेवकों द्वारा “अथवा अवसरों पर उनके द्वारा नियुक्त किये गये उनके प्रतिनिधियों के जीति थे मुहम्मद अपने समर्थकों की सलाह को सुनते थे और उनको अपनी पके करने का अधिकार देते थे । परन्तु प्रत्येक विपय मे अन्तिम निर्णय उन्हीं का होता था । इस प्रकार इस्लाम का प्रचार करने के साथ-साथ मुहम्मद ने परिस्थितियोंवश एक राजनीतिक व्यवस्था और एक राज्य की स्थापना भी की थी और वह स्वय उसके प्रधान बन गये थे, यद्यपि वह सवेदा पैगम्वर ही कहलाये और उन्होंने कभी भी किसी अन्य पद अथवा स्थिति को स्वीकार नहीं किया । 632 ईं० में उनकी मृत्यु हो-गयी । वैगम्बर मुहम्मद ने अपना कोई उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं किया था। इस कारण मदीना में हुई एक जन-साधारण-सभा: में अदु-वक्न को उनका उत्तराधिकारी चुना गया । पैगम्बर मुहम्मद के उत्तरा- घिकारी खलीफा 0. (कारण * कहलाये । इस कारण अबू-वक्त पहला खलीफा हुआ । वह सुझी था और उसका वंश उमय्यद कहलाया । इस कारण पहले के खलीफा उमय्यद-खलीफा कहलाये। 633 ई० से 750 ई० तक के समय में उमय्यद-वश के 18 खलीफा हुए? जिनमे से प्रथम चार' खलीफा पवित्र-खलीफा माने गये और वाद के 14 खलीफा धार्मिक प्रधान के साथ-साथ शासक भी माने गये, यद्यपि पहले खलीफा अबू-वक्त के समय में ही पैगम्बर मुहम्मद की मृत्यु के पश्चात्‌ होने वाले विभिन्न विद्रोहों को दवाने की आवश्यकता के कारण खलीफा एक धर्म का ही नहीं वल्कि एक राज्य का प्रधान और मदीना उस राज्य की राजधानी वन गया था । उसकी मृत्यु बीमारी से हुई और उसने उमर को अपना उत्तराधिकारी बनाया । दूसरा खलीफा उमर हुआ जो एक आदर्श खलीफा माना गया और जिसके समय में महान्‌ विजय की गयी । सीरिया, मिस्र, ईरान आदि को उसके समय में विजय किया गया! उमर ने अमीरुन-मुमीनिन ((00एएए080067 01 106 की उपाधि ग्रहण की । उसके समय मे इस्लाम के अतिरिक्त अन्य सभी धर्मों के मानने वालो को अरब से बाहर वसाया गया और अरब को पूर्णतया अरवों और उमस्यद-खलीफा 1 (1) अबूनवक्र (633-634 ई०), (2) उमर प्रथम (633-634 ई०), (3) उस्मान (644-656 ई०), (4) अली (656-661 ई०), (5) मुअब्विया (661-680 ई०1, (6) याजिद (680-683 ई०), (7). मुअब्विया द्वितीय (683-684 ई०), (8) सारवान (684-685 ई०),. (9) अब्दुल मलिक (685-705 ई०), (10) बालिंद, प्रथम (ए05-715 ई), (11) सुलेमान (715-717 ईब, (12) उमर द्वितीय (717-720 ई०), (13) याजिद द्वितीय (720-724 ई०), (14) हिशाम (724-743 ई०), (15) वालिद -दितीय (743-744 ई०), (16) याजिद तृतीय (744 ई०), (17) इब्राहीम (744 ई०), और (18) सारवान द्वितीय, (744-750 ई०) 1 ना सरगऊ था उन, ०. ए. 9ज हवणीत पाए व सैविधिव (रिप्णिफिपिच्छें ० पद प्रा (0ए81655)- , हि है




User Reviews

  • Vinay Soni

    at 2020-05-10 11:31:46
    Rated : 5 out of 10 stars.
    इस पुस्तक के कई पृष्ठ गायब है और बीच-बीच में स्कैनिंग के कारण शब्द मिट गए हैं संभव हो तो पूर्ण पृष्ठों के साथ पुस्तक अपलोड करने की कृपा करें
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