अन्त ध्र्वनि | Aant Dharvani

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Book Image : अन्त ध्र्वनि   - Aant Dharvani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अन्लध्वालि * ज्योतिमय. तेर ज्योति से ही सूर्च, चन्द्र और नक्षत्र प्रकामित दं किर में क्यों तेरी पूना एकं नन्हात्ता टिमाटिसाता ভাত অভি ? कण कण नेरें प्रकराथ से ग्रकाशमय महान्‌ ज्यातिर्मत्र के मान्दिर में नन्‍्हाता दीप जलाकर क्‍यों हत्यास्पद बनू ? मतो ऋषिपुत्रो की अमरवाणी मे अपना स्वर मिलाकर यहाँ पृजा-प्रार्थना करेंगी ज्यातिराति ज्यातिमेयि घेहि . व ৯২ ১ ০০০৯




User Reviews

  • rakesh jain

    at 2020-12-05 12:05:04
    Rated : 7 out of 10 stars.
    "HEADING IS "ANTERDWANI""
    CATEGORY OF THIS BOOK IS "POETRY"
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