अन्त ध्र्वनि | Aant Dharvani
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
120
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अन्लध्वालि
* ज्योतिमय.
तेर ज्योति से ही सूर्च, चन्द्र और नक्षत्र प्रकामित दं
किर में क्यों तेरी पूना एकं नन्हात्ता टिमाटिसाता ভাত
অভি ?
कण कण नेरें प्रकराथ से ग्रकाशमय
महान् ज्यातिर्मत्र के मान्दिर में नन््हाता दीप जलाकर क्यों
हत्यास्पद बनू ?
मतो ऋषिपुत्रो की अमरवाणी मे अपना स्वर मिलाकर यहाँ
पृजा-प्रार्थना करेंगी
ज्यातिराति ज्यातिमेयि घेहि .
व ৯২ ১ ০০০৯
User Reviews
rakesh jain
at 2020-12-05 12:05:04"HEADING IS "ANTERDWANI""