कौवारोर | Kauwaror

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Kauwaror by कौतुक बनारसी - Kautuk Banarsi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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०५ हिंसक मच्छर सुन घबराये उन्हें ज्ञान का पथ झट भूला टूट पड़े मेरे मुँह ऊपर इसीलिए मेरा मुँह फूला नह देशवासियो, होशियार हो खटमल यहाँ न फिर से आयें यहाँ न फिर से घिरे अंधेरा यहाँ न मच्छर रहने पायें जैद




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