ऐतिहासिक उपन्यास और ऐतिहासिक रोमांस | Aitihasik Upanyas Aur Aitihasik Romance
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
266
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका शा
“हिन्दी के ऐतिहासिक उपन्यासों में इतिहास का प्रयोग” नामक अप्रकाशित
शोध-प्रवन्ध के आरम्भिक अध्यायों में लेखक डॉ० गोविन्दजी ने इतिहास-दर्शन तथा
इतिहास लेखन की अन्यान्य घारणाग्रो एवं मान्यताओं के परिप्रेक्ष्य में मानवीय श्रतीत
के पुनः प्रस्तुतिकरण एवं पुननिर्माण की ऐतिहासिक एवं साहित्यिक प्रक्रिया का
वैज्ञानिक अव्ययन किया है। यहाँ उपन्यास के अन्यान्य तत्त्वों एबं घटकों का भी
विवरण प्रस्तुत किया गया है। यद्यपि स्वयं में यह एक स्तुत्य प्रयास है तथापि लेखक
ऐतिहासिक उपन्यासो मे देतिहासिक घटनाश्रो की प्रामाणिकता तथा देतिहासिक
उपन्यास के नितान्त आधुनिक स्वरूप एवं मानदण्डों के प्रावार पर विवेच्य उपन्यासो
एवं ऐतिहासिक रोमांसों की आलोचना करने के कारण इस कालखण्ड के उपन्यासो
के साथ ऐतिहासिक रूप से न्याय नहीं कर पाए ।
डॉ० गोविन्द जी ने स्थान-स्थान पर विवेच्य उपन्यासकारों तथा उनकी क्ृतियों
की कटु आलोचना की है, जो वहुधा तिराधार है ।
डॉ० गोविन्द जी संपादित ' ऐतिहासिक उपन्यास : प्रकृति एवं स्वरूप” पुस्तक
में मौलिक ऐतिहासिक उपन्यासकारों तथा आलोचकों के ऐतिहासिक उपन्यासों के
सम्बन्ध में अन्यान्य पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों का संग्रह किया गया है | यहाँ
रवीन्द्रनाथ टेगोर, डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी, राहुल सॉस्क्त्यायन, वृन्दावन लाल वर्मा
सभी के निवन्धों को संगृहीत किया गया है| मूल लेखकों एवं समीक्षकों के ऐतिहासिक
उपन्यासों के सम्बन्ध में निवन्धो को एक ही स्थान पर एकत्रित एवं प्रकाशित करना
डॉ० गोविन्द जी की महत्त्वपूर्णा सफलता है ।
वस्तुतः इन विद्वानों एवं विदृषियों ने प्रेमचन्द पूर्व ऐतिहासिक उपन्यासों एवं
ऐतिहासिक रोमांसों का अध्ययन प्रसंगवण ही किया है । यह उनका वास्तविक ध्येय
भी नहीं था । उपयुक्त मत के लिए मै क्षमा प्रार्थी हु । अस्तु ।
अब प्रत्येक अ्रव्याय के मूल प्रतिपाद्य तथा प्रमुख स्थापनाओं का क्रमिक
सर्वेक्षण प्रस्तुत करने की अनुमति चाहूगा।
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प्रथम प्रध्याय
प्रबन्ध के प्रथम अध्याय को दो खण्डों में विभाजित किया गया है---
(1) तथ्यरूप इतिहास (711) कलारूप इतिहास ।
तथ्यरूप इतिहास के श्रन्तर्गत हमने श्राधुनिक इतिहास क्या है ? मानवीय
अतीत के सम्बन्ध में वज्ञानिक ढंग से अध्ययन एवं विचार करने की पद्धतियाँ तथा
उन्नीसवी शताब्दी के अन्यान्य इतिहास दार्शनिकों यथा जे० बी० बरी, कोचे, लांगलाहस
গাহি की आधुनिक इतिहास के सम्बन्ध में धारणाओं तथा परिमापाग्नों का वर्णन
एवं विवेचन किया है ।
निशएचयवाद ग्रथवा स्वेच्छावादी इतिहास-सिद्धान्त का तथ्यकूप इतिहास लेखन
की प्रक्रिया पर गहन प्रमाव पडता हे 1 माक, हीगल तथा श्रन्यान्य दार्शनिको के मतों
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