ग्लेशियर से | Gleshiyar Se

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : ग्लेशियर से - Gleshiyar Se

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मृदुला गर्ग - Mridula Garg

Add Infomation AboutMridula Garg

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१८ [ ग्लेघियर से #चनेगा पार 2” उसने उसी खिलखिलाती, दिपदिप्राती आवाज में कहा । उस घुम्बवीय उन्माद वा स्पर्श या तेने पर 'हा” कहना तक दिक्कत पँदा करता है और 'हा' कहने के सिवा दूसरा चारा रखता नहीं “चल,” उसीने बड़ा और उसे खींचता हुआ पुल पर दौड़ गया। चार कदम लम्बी दौड़ और *'पैरो तले की जमीन खिसक गयी । बर्फ का पुल भड़भड़ाकर टूट गया । छोटा-मा एक क्षण वह था जब वह हवा में लटकी थी और फिर एक खनधनाती हसी उसे ऊपर उठाये थी + नही-नहीं, कया वेवकूफी की बात है। परः छाती तक पानी है'*'पानी पर तिरती खिलखिलाहर है'**बया हुआ कि बह पानी में नहीं थिरी ?ै साफ उसने सुना था' “उत्वठा वी धमझ से टूटा बर्फ का टुकड़ा बोल पड़ा घा--दुप | उसके गले से घुटी दोख निवली थौ--दुप! दीथ परम वह हसो झ्यादा थी। विस्मप्र और उत्तेजना से पैदा हुई उमंंग-भरी विक्कारी ' * তুল गिरी कि अलमस्प हँसी ने उसे बाहों भें उठा लिय्रा1 पठान छती तक पाती में है। वह उसकी बाहों में है और हरी हुई हवा की जिदगी की चाहत से जन्मी हसो वहाये लिये जा रही है; “देखा !” उसने कहा, “पुल का हाल !”” उसने देखा, नीची आंखो की मशाल भमक रही है-दुप ! दुप ! उसकी हंसी में उतने अपनी खिलखिलाती हमसी जोड़ दी । नयी हिस्से- दारी को तरावट से टपकती हसी । मंदी पार हो गयी 1 उसने उसे बर्फ-सनी घास पर उतार दिया। सामने फिर पहाड़ हैं । 'पनेशियर २” उसने वहा, “ग्वेशियर ? ” “स्लेज गाड़ी खेलेगा ?” पठान ने कहा 1 'पलेशियर 2” उसने व्यप्र होकर कहा, “ग्लेशियर ? ” “यह वो रहा,” हवा में हाथ फटराकर उसने कहा ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now