श्रावकाचार संग्रह भाग १ | Shavarkachar Sangrah Prat I
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30 MB
कुल पष्ठ :
574
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विपय-सूची १५
सम्यक्त्वके आठ अंग और उनमें प्रसिद्ध पुरुषोंका निर्देश च क ४२८
दयत आदि सप्त व्यसनोका विस्तृत्त विवेचन च की ४२९,
नरकगतिके दु:खोंका विस्तृत्त वर्णन ५ ~ ४३६
तिय॑चगति और मनुष्यगतिके दुःखोंका वर्णन ৫ এ ४४०
देवगत्तिके दुःखोका वर्णन ४४२
दशान प्रतिमाका वर्णन इ
ब्रत प्रतिमाका वर्णन রর
पात्र, दात्ता, देय और दानविधिका वर्णन ४२४९
दानसे फलका वर्णन বারাটা
सल्लेखनाका वर्णन ४५१
सामायिक और प्रोषध प्रतिमाका वर्णन ८५१
सचित्तत्याग आदि छ् प्रत्तिमाभोका स्वरूप-निरूपण ४५३
उरिष्टत्याग प्रतिमाका विस्तृत वर्णन अर हा] টা
राजिभोजनके दोषोंका वर्णन ने न ४५६
श्रावकके कुछ अन्य कतर्व्योका निर्देश ४५६
विनयका वर्णन ४५७
देयावृत्त्यका वर्णन ४५९
कायक्ले तपका वर्णन ४६१
पंचमी ब्रतका वर्णन पि ने ४६१
रोहिणी, अश्विनी, आदि अनेक ब्रतोका वर्णन प्रः ४ इर
नाम ओर स्थापना पूजनका वर्णन ५ ~^ ४६४
प्रतिमा-प्रतिष्ठाका विस्तृत वर्णन ~ উঃ ४५
द्रव्य, क्षेत्र काल और भावपूजाका वर्णन ने চা ५४6
पिण्डस्थ ध्यानका वर्णन এ 4 छर
पदस्थ ध्यानका वर्णन ने রী চি
रूपस्थ ओर रूपातीत ध्यानका वर्णन न ^^ प
अष्टदरनयसे जिनपूजन करनेवाला स्वरग-सुख भोगकर ओर वहसि चयकर मनुष्य
होकर कायं क्षयकर मोक्ष प्राप्त करता है, इसका विस्तृत वर्णन प
ग्रन्थकारकी प्रशस्ति -- ५८९
« सावयधम्प्दोहा ५८३-५०५
मंगलाचरण ओर श्रावकधर्मंके कथनको प्रतिज्ञा ০০০ ই
मनुष्य भवकी दुरूमता और देव-गुरुका स्वरूप नल সঃ ই
दर्शन प्रत्तिमाका स्वरूप ने प
अष्टम गुण-पालनका उपदेश्च ও ভর
सप्त व्यसनोके दोष वृताकर उनके त्यागनेका उपदेश ~ स |
४८९६
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