गीतोपनिषद भगवदगीता यथारूप | Geetopnishad Bhagwadgeeta Yatharup
श्रेणी : धार्मिक / Religious
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
783
श्रेणी :
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अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (1 सितम्बर 1896 – 14 नवम्बर 1977) जिन्हें स्वामी श्रील भक्तिवेदांत प्रभुपाद के नाम से भी जाना जाता है,सनातन हिन्दू धर्म के एक प्रसिद्ध गौडीय वैष्णव गुरु तथा धर्मप्रचारक थे। आज संपूर्ण विश्व की हिन्दु धर्म भगवान श्री कृष्ण और श्रीमदभगवतगीता में जो आस्था है आज समस्त विश्व के करोडों लोग जो सनातन धर्म के अनुयायी बने हैं उसका श्रेय जाता है अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद को, इन्होंने वेदान्त कृष्ण-भक्ति और इससे संबंधित क्षेत्रों पर शुद्ध कृष्ण भक्ति के प्रवर्तक श्री ब्रह्म-मध्व-गौड़ीय संप्रदाय के पूर्वाचार्यों की टीकाओं के प्रचार प्रसार और कृष्णभावन
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पृष्ठभूमि आ- ९७
निमित्त बनाते है किसी अज्ञात प्रतिभाशाली व्यक्ति के विचारों को पद्य रूप
में प्रस्तुत कले का, या फिर बहुत हुआ तो कृष्ण को एक गौण ऐतिहासिक
पुरुष बना दिया जाता है। किन्तु साक्षात् कृष्ण भयवदगीता के लक्ष्य तथा
विषयवस्तु दोनों हैं जैसा कि ग्रीता स्वयं अपने विषय में कहती है।
अतः यह अनुवाद तथा इसी के साथ दिया हुआ भाष्य पाठक को कृष्ण
की ओर निर्देशित करता है, उनसे दूर नहीं ले जाता। इस दृष्टि से भ्रगवदग्रीता
यथारूप अतुपम है। साथ ही इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस
तरह यह पूर्णतया ग्राह्म तथा संगत बन जाती है। चूँकि ग्रीवा के वक्ता एव
उसी के साथ चस्म लक्ष्य भी स्वयं कृष्ण हैं अतएब यही एकमात्र ऐसा अबुवाद
है जो इस महान शाल को सही रूप में प्रस्तुत करता है।
~ प्रकाराक
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