वल्लभ संग्रह प्रथम भाग | Vallabha Sangrah Vol. - I
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about हरिवल्लभ शर्म्मा - Harivallabh Sharmma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१, ५
टमी काया सत &, मनसा भय किसान ।
पाप पुण्य दोड बीज हैं) बुध सो लुने निदान ॥
जो सांचो घन होई तौ. तीर्थ मनी सादिः
पर क्तरनी पेट में, कहा. शोत है नहाहि॥
द्विच |
पाय प्रशुताई कुछ कीजिये भलाई ह॒हां, नांछि थिरताई वन सानिय कविनिके ।
लन अपजस रहिजात बीच भ्रमित्वेके, मुल॒क खजाना ये न साथ गए किनके ॥|
आार गहीपालनकी गिनती गिनान कोन; रावणने च्छयये विक्री वश जिनके ।
व्यापदार वाफर् चमृपति चवर दार, मंदिर मतंग ये तमाशे चार दिन के ||
सदया |
मातु पिता युवर्ती सुत बन्धव लागत है सबको अति प्यारो।
लोक कुठम्ब खरो ट्वित राखत होइ नहीं हमतें कहुं न्यायो |
देह सनेह तहां लग जानहु घोलत हैं मुख शब्द डचारो।
खुन्दर चैतन शक्ति गह तव वेगि कटै घर वार निकारो |
देर सनेह न छात উ नर् जानत है धिर ই यद् देषा!
छी जत जात घंट दिनही दिन दीसत है घटकों नित উহা ॥
काल अचानक आइ गद्ढे कर ढाह गिराइ करें तनु खेहा।
सुन्दर जानि यहै निहंच धरि एक निरंजन सूं. करि नेहा ॥
शेर--फूल तो दो दिन वहारे जां फिजां दिखला गये ।
वाय उन गुंचों पे है ज्यों विन खिले मुझो गये ॥
লা
रहा है न कोई यहां रही है न कोई यह, जाने सव कोई पे ने थाने मोह परिगे ।
हाथी श्रौ घोड़े जोड़े छोड़े सब ठोर २, भोंनन में गाड़े भूरि भांडे ते विसरिगे ।
कहे छविनाथ रघुनाथ के भजन विन, ऐसे री विचारे जनम कोटिन निसरिगे ।
जग वाले जोर वाले-जाहिर जरव वाले,जोश वाले जालिम चिताकी आग जरिगे।
शेर--यह चमन यों ही रहैगा वासवां ओर जानवर | .
अपनी अपनी बोलियां खव बोलकर उड़ जांयगे।
दोहा-तेस मेरा क्यो करैः तेरा है नहिं कोय।
-वासा है त्षण एकको, कोन भरोसा होय ॥
„24 जार ৫ ^}
User Reviews
No Reviews | Add Yours...