ग्राम साहित्य (तीसरा भाग) | Gram Sahitya (Teesra Bhaag)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
346
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)किसानो का चपा-विज्ञान
यहत पुराने समय से लोगों में यह विश्वास चला आ रहा हैं कि पोष
ओर माघ के महीने में वर्षा का गर्भ पढठा हैं, जो १६९ दिनों बाद प्रसव
होता है । यह भी कहा जाता है कि गगहन या पाप महीने के शुक्तपत्त से
जो गर्भाधान होता हैं, उसका साड़े छुः महीने बाद जो प्रसव होगा, उसको
संतान निर्बल होगी, झर्थाव् बृष्टि कम होगी ।
वर्या के ग्म के पाँच कारण होते है --हवा, दृष्टि, बिजली, गर्जन और
वादल । गर्भ के समय जब ये पाँचो लत्ञण उपस्थित होते ह, तवर श्चत्यन्त
विस्तार के साथ वर्षा होती है ।
यद्य वारय महीनां की वृष्टि के लक्षण ओर फल कहावतों के
अनुसार सक्षेप में दिये जाते हैं --
मास तिथि लक्षण फल
कातिक्र 9१ सुदी बादल और विजली श्रसाद् में श्रच्छी वरि
, ৭৭ )। चादल गरजे छोमासाभर अच्छी दृष्टि
এ... ৭ 88 कृत्तिका में बादल রা क 0
विजली
ष्पगदन ठ यदी य्रादन दिखा पडे, सावनभर वर्षा
बिजली লক্ষ
„ चटी यासुदी सवेरे कहग पदे ज्ञ माना अ्रच्चा होगा ।
নল १० यदी वर्षा हो सावन बदी टशमो को
वर्षा हो
„ ७ बढ़ी নানী ন লে গালা বলেনা
५... ७ यदी चादल दहो, पानौ सावन को पृणमामी को
न वरम वपां श्रवदय होगी !
, १० वदी बादल हों, बिजली. भादोभर वर्षा होगी |
चमके
53 रदी प्रादल चारायो २ घेरे हा सावन में पूर्णमासो ओर
धमावस्या को बड़ो वर्षा
होगी ।
„ प्रमादस घागशोर से हवा चले वर्षा ऋतु में बढ़ी वर्षा
होगो ।
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