श्रीजम्बुकुमार नाटक | Shri Jambukumar Natak

Shri Jambukumar Natak by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श &८ शः भरी जिनाय नमः (0० & आज जस्च्कमार नर्क £ भुत যচ ৩৩০ # पहला अक्व-पह्लिल्ा दृश्य £ र ` पु्वाभास - ( नलचाय मासाः हु आता है ) भिनत कौ पूत वस्यः का खुप एए भितं सेना है । वी“ अगर भी नहिं छेतों तो पर जन्म श्यर्थ खाना है 1१॥ ¢ $ ~ १. दः ध जिन जये काम फे छान दस्मे सिनमत मं ॥२॥ झद धर्मवीरः अमष्टोन शी জিনস में । , जिन महावीर ,भगवान इंसी जिनमत मे ॥२॥ दौऊत , सम्पेति की खान इसी जन्त्व मं । हुए घम कुपेर धनवान इसी सिनमत में ॥४॥




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now