श्री आवश्यकसूत्र [खण्ड १] | Shri Aavashykasutra [Volume 1]

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : श्री आवश्यकसूत्र [खण्ड १] - Shri Aavashykasutra [Volume 1]

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जैन मुनि उपाध्याय आत्माराम जी - Jain Muni Upadhyay Aatmaram Ji

Add Infomation AboutJain Muni Upadhyay Aatmaram Ji

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१५ मरा धर्म है (४ सम्मत्ते) यही सम्यक्त्व (में) मेरे (गहिय ) ग्रहीत है अथान्‌ देवर गुर धमकी जे पू निष्टा है सो मेरा सम्यकत्व है। और गुरु मेरे वह है जो (पार्वेढिय सवरणो) पाच हिय यथा श्रोत्र, धाण, चक्षु, रपत स्पशे, इनको जो वश करनेवाले है (तह ) तथा (नवविह) नवविधिके ( वमचेर गुतिधरो ) ब्ह्मचर्यकी गुप्तिके धरनेवाले जेसे कि निम्त स्थानमें स्त्री पशु नपुसकका नित्राप्त हेवे ऐसे स्थानक्रों छोड देवे मुषक्त विजव (माजार) का दृष्टान्त १; सतत्रीका व्याख्यान न करे नींबूका ढ्टान्त २, सत्रीसे संघद्या मी (रपश भी) न करे उष्ण भूमिकामें घृतका दष्टान्त ३, सत्रीके सागोपागको भी न देखे नेत्रोंके रोगीको सूस्येकी हेतु 8) पूर्व क्रीडाकी स्मृति न करे तक्र वा सुद्र अनिष्ट वाताओका दृष्टा-त ५, सत्रीके समीपक्री वस्ती- को भी ड देवे नते वाद गरजते हुए समय मयूरके नृत्य करनेका दृष्टान्त ६. प्रणीत आहारकों भी न आसेवन करे जीर्ण वच्रका दृष्टान्त ७, फिर अतीव आहार भी न करे स्वप भाजनमें बहुत वस्॒का दष्टान < शपीरका भी शगार न केरे मीन वस्म रत्नका दात ९ सा जो गुरु उक्त विविसे ब्ह्मचर्य पालनेवाले हैं ओर (चउविह कम्तायमुक्की) चहरुर्षि- घिकी कपायोंते भी मुक्त हैं जेसे क्रोध १ मान २ माया ३ लोभ ४ (हय अ्टारस्स घ॒णेहिं सयुत्तो) इन १८ गुणों करके जो संयुक्त है, फिर (पंच महव्वय जुत्तो ) पांच महाव्रतों करके सयुक्त है जैसेकि-अहिंसा १ सत्य २ दत्त ६ ब्रह्मचर्य ४ अपरिग्रह ९ इनको पाठनेव्राटे, फिर (पंचविह) पाच परिधिके ( आयारपाटण समत्यो ) आचार पालणम समर्थ हैँ नके ज्ञानाचार १ दशनाचार २ चारिजाचार ३ तपाचार ४ वल्वीयोौचार ९ फिर (पंच समिओ) पाच सपित करके भी युक्त ই जेपेकि (इयां समित) विना देवे न चलना (भाषा समित) षरिना विचारे न बोलना (एषणा समित) निद गहार छेन ८ आयार मडमत्त निक्खेवणा समित ) विना यतन क्का न रखना न उढाना (उवार पाप्वण खेल पिवाण जछ मरू परिठवर्णिया




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now