भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और मौलाना मोहम्मद अली जोहर | Bhartiya Swatantrata Sangaram Aur Maulana Mohammad Ali Jauhar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम को पृष्ठभूमि प्‌ शासन की नींव मनिर्बल कर दी | अंग्रेजों ने भारतीय कुटीर उद्योग-धन्धों को समूल नष्ट करने के प्रयास किये जिससे कि ब्रिटेन में निर्मित माल की खपत भारत में हो सके । अंग्रेजों ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अत्याचारों एवं राजनैतिक चतुराई से उद्योग प्रधान नगरों को नष्ट करके भारत को केवल खेतिहर देश बना दिया | भारतीयों के असन्तोष की झलक १८५७ ई. से पूर्व हुए विभिन्‍न विद्रोह में देखने को मिलती है। जैसे कटक के पाइकों विद्रोह दीवान वेलूभाम्बी का विद्रोह भील विद्रोह जाट विद्रोह कित्तूर का विद्रोह और बुन्देलों का विद्रोह आदि-आदि। इन विद्रोह के बाद यह बात सर्वमान्य हो गयी थी कि कम्पनी शासन करने में नितान्त अयोग्य है । क्राउन पहले से ही भारत पर अपना नियन्त्रण चाहता था। परिणाम स्वरूप २ अगस्त १८५८ ई. को भारत प्रत्यक्ष रूप से अंग्रेजी शासन में ले लिया गया । और यहां के कार्य देखने के लिए कैबिनेट में एक भारत सचिव की नियुक्ति की गयी । यद्यपि महारानी विक्टोरिया ने १८५७ ई. में घोषणा प्रेषित की थी जिसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि जाति अथवा रंग के आधार पर किसी के साथ भेद-भाव नहीं बरता जायेगा | लेकिन यह घोषणा मात्र बनकर ही रह गयी | 1. १८५७ का विद्रोह ब्ितानी शासन की जड़ें हिलाने के लिए काफी था । 7 स्वतन्त्रता संग्राम विपिन चन्द्र पृ. ४२ 2. स्वतन्त्र व्यापार भारत वर्ष के लिए वर्जित था। सूरत ढाका मुर्शिदाबाद तथा अन्य स्थानों की देशी कारीगरी का पतन तथा विनाश ऐसा दुखः मय सत्य है जिसका वर्णन सम्भव नहीं-- बंगाल के समान भारत वर्ष के सभी भागों में कला कोशल तथा उद्योग धन्धों का विनाश हो गया। -- स्वतन्त्र दिल्‍ली डा. सेयद अतहर अब्बास रिज़वी पृ. १० हिन्दुस्थान औद्योगिक इंग्लैण्ड का एक खेतिहर उपनिवेश बन गया जो कच्चा माल देता और इंग्लैण्ड के तैयार माल को अपने यहाँ खपाता | -ए हिन्दुस्थान की कहानी जवाहर लाल नेहरू पृ. १९८ अंग्रेज इतिहास कार मार्टिन के शब्दों में ही - सूरत ढाका मुर्शिदाबाद जेसे शहर इस तरह बरबाद हुए कि उनका वर्णन नहीं करते बनता-- में तो कहूंगा कि शहजोर ने अपनी ताकत से कमजोर को कुचल दिया । बड़े ही योजमाबद्ध तरीके से अंग्रेजों ने भारत को एक खेतिहर देश बना दिया । - रविवासरीय हिन्दुस्तान ९ मई १९८२ द्वारा शीला झुनझुनवाला




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