सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड- 78 | Sampurna Gandhi Vaangmay, Vol-78

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Sampurna Gandhi Vaangmay, Vol-78 by मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पाठकोको सुचना हिन्दीकी जो$सामग्री ह्मे गांधीजी कै स्वाक्षरोमें मिरी है, उसे भविकल रूपमे दिया गया है। किन्तु दूसरों द्वारा सम्पादित उनके भाषण अथवा लेख आदिमे हिज्जोंकी स्पष्ट भूलें सुधार दी गई है। अंग्रेजी और गुजरातीसे अनुवाद करते समय उसे यथासम्भव मूलके समीप रखने का पूरा प्रयत क्रिया गया है, किन्तु साथ ही भाषाको सुपाठ्य बनाने का भी पूरा ध्यान रखा गया है। जो अनुवाद हमें प्राप्त हो सके है, उनका हमने मूलसे मिलान और संशोधन “करने के बाद' उपयोग किया है। नामोको सामान्य उच्चारणके अनुसार ही छिखने की नीतिका पारून किया गया है। जिन तामोंके उच्चारणमें सदय था, उनको वसा ही लिखा गया दै जैसा गांधीजी ने अपने गुजराती लेखोमें लिखा है। मूल सामग्रीके बीच चौकोर कोष्ठकोमें दिये गये अंश सम्पादकीय है। गांघीजी ने किसी ठेख, भाषण आदिका जो अंश मूल रूपमे उद्धृत किया है, वह हाशिया छोड़कर ` गहरी स्याहीमें छापा गया है। लेकिन यदि ऐसा कोई अंश उन्होंने अनूदित करके दिया है तो उसका हिन्दी अनुवाद हाक्षिया छोड़कर साधारण ठाइपमें छापा गया है। भाषणों की परोक्ष रिपोर्ट तथा वे शब्द जो गांधीजी के कहे हुए नहीं हैं, बिना हाशिया छोड़े गहरी स्याहीमें छापे गये हैं। भाषणों और भेंटकी रिपोर्टोके उन अंजोंमें जो गांघीजी के नही हैं, कुछ परिवर्तंत किया गया है और कही-कही कुछ छोड़ भी दिया गया है। शीर्षककी छेखन-तिथि दायें कोम ऊपर दे दी गई है, लेकिन जिन रेखो, टिप्पणियो आदिके अन्तमं छेखन-तिथि ভী বাই ই उनमें उसे यथावत्‌ रहने दिया गया है। जहाँ वह उपलब्ध नही है, वहाँ अनुमानसे निश्चित तिथि चौकोर कोष्ठकोंमें दी गई है और आवश्यक होने पर उसका कारण स्पष्ट कर दिया गया है। जिन पत्रोमें केवल मास या वर्षका उल्लेख है, उन्हें प्रसंगानुसार मास तथा वर्षके अन्तमें रखा गया है। शीषंकके अन्तमं साधन-सूत्रके साथ दी गई तिथि प्रकाशन की है! गांधीजी कौ सम्पादकीय टिप्पणियां मौर लेख, जहां उनकी छेखन-तियि उपरुव्व है अथवा जहां किसी दृढ आधारपर उनका अनुमान किया जा सका है, वहां ठेखन-तिथिके अनुसार और जहाँ ऐसा सम्भव नहीं हुआ है, वहाँ उनकी प्रकाहन-तिथिके अनुसार दिये गये हैं। प्रहु




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