वर्जित प्रदेश | Varjit Pardesh
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
316
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सशी कल्पना ६
स স্পাইসি পা পাতাল পপ পলিকি পল
करते है । एक समय आधा पेट चावल खाकर--बहुधा
वह भी नहीं । जाओ और देखों मानवता का भीषण
ताण्डव-नृत्य !
रात्रि का समय हो चला था । नगर में सवत्र व्लैक-
आउट का साम्राज्य था। एक बड़े मकान की ओर नरेन्द्र चला ।
सीढ़ी के पास पहुँचने पर उसे मालूम हुआ कि कोई उसके
पीछे-पीछे आ रहा है। उसने सावधानी से घृमकर देखा तो
एक क्षीण॒काय वृद्ध पुरुष दाँत निकाले उसके आगे हाथ जोड़
कर खड़ा हो गया । नरेन्द्र ने कुछ भय और विस्मय के साथ
पूछा--“क्या चाहते हो ९”
क्षीण स्वर में वह बोला--“अज्ञे बाबू, आज दू दिन
ओके आमि किछु खाई नी | शुधू एकद्ू भात चाई--दया करे
आमार बाड़ी ते चौलून...कि बोलवों आपना के...बढ़ो लज्जार
“विषय. . .एकठे चमत्कार मेये-छेले आचे...जदि ओर संगे
एकटू अलाप करे...!”
नरेन्द्र उस कै साथ दो लिया। एक छोटी-सी कोठरी
मे उसने पाव रखा । लालटेन की धीमी रोशनी मेँ उसने देखा
कि कमरे के एक कोने मे एक पन््द्रह-सोलद वषे की गोरी-सी
लड़की सिकुड़ी बेठी है । उसके प्रवेश करते दी वह जरा
सेंमल कर बैठ गई । वृद्ध ने अवसर देखा और चुपचाप
खखिसक गया ।
नरेन्द्र ने किवाड़ बन्द किये और वही झमीन- पर শত
User Reviews
No Reviews | Add Yours...