प्रद्युम्न चरित काव्य धारा | Pradyuman Charit Kavya Dhara

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चिषय-सुची पुरोवाक्‌ [] डॉ० सत्येस्द्र पृ० (अर) पूर्वक्षण (] लेखक पृ० (क-छ) क्ृतज्ञता-ज्ञापन ,, पु० (छ-ज) (1 विषय-बस्तु 1 पृष्ठ-संस्था प्रष्याय : एक/'प्रयुम्न' : श्रसिधान और सुल कल्पना [1-15] 1 प्रद्यू मन कासदेव के अवतार (1) 2. “काम! का ऋग्वेदीय रूप (1) 3, अथर्ववेद मे काम (2) 4 काम के विकास की क्रमिक अ्रवस्थाएँ (3) 5 काम का महाकाव्यीय और पौराणिक स्वरूप (3) 6 काम का अवतारत्व तथा प्रद्यू स्‍्त-रूप (4) 7, श्रदय्‌म्न' अभिधान का उत्स और इतिहास (6) 8. महाभारत मे प्रद्य्‌ मन का कामदेवत्व (9) 9. प्रदयुम्त भौर अग्नि तत्त्व (11) 10. प्रद्यू मत और कारतिकेय (13) 11 निष्कर्ष (13) « »« .सन्द्म. भध्याय 1 [ 16-20 प्रध्याय * दो/प्रम्युन : कामदेव के श्रवतार रूप में [21-47 1, विश्वेदेवा 'काम! (22) 2 काम की अपत्यता (22) 3. काम : नाम तथा महिमा (23) 4 काम का पुनर्जन्म (24) 5. कामं की विष्णु और प्रद्म्न से एकरूपता (26) 6. काम की प्रतिमा तथा पूजा (27) 7 काम के महत्व का हास (28) 8. काम और भ्रग्ति ; वैष्णव तथा शैव परम्परा में (28) 9 प्रद्युम्न, कातिकेय, सनत्कुमार और सुबर्ण मे प्रभेद-स्थापन मे श्रस्ति और काम की हेतुता (33) 10 कातिकेय-कया श्रौर प्रद्‌ म्न-कथा मे समसूत्रता (36) 11 काम-कथा के शैव, वैष्णव, बौद्ध तथा जैन रूप (38) 12. काम- कथा के वैष्णव रूप की विशेषताएं (43) 13 कामदेवता लौकिक भौर शास्त्रीय रूप (45) 14. निष्कर्ष. काम-कथा का प्रद्युस्न-कथा पर प्रभाव (46) «« «सन्दर्भ अध्याय 2 | 48-52 प्रध्याय तीच/भप्रद्युस्त : देवता रूपमे बे न-+० 1. देवत्व का জীব (53) 2. कृष्ण की देवत्व-प्राप्ति (53) 3. महाभारत में कृप्ण का देवत्व (54) 4 महाभारत का रचना- काल (54) 5. कृष्ण की उपास्यता के अन्य प्रमाणा तथा बीरवाद




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