कहानी - संग्रह [भाग २] | Kahani Sangrah [Bhag 2]
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शये [ मिथओीवाला
राय विजयवहादुरके बच्चे भी अक दिन खिलोंने लेकर घर
अये | वे दो बच्चे थे---चुन्नू और मुन्नू | चुम्नू जब खिलोना के
आया, तो बोला--“मेला घोछा कैछा छुन्दल जै [?
मुन्नू बोला---“औल, मेला आती कैसा छुन्दल ओ [”
दोनों अपने हाथी-घोड़े छेकर घर-भरमें झुछलढने छगे। आन
बच्चोंकी माँ, रोहिणी कुछ देर तक खड़े खड़े अुनका खेल निरखती
रही । अन्तम दोनों बच्चोंकी बुछाकर श्ुसने अुनसे पृा-- “अरे
ओ चुन्नू-मुन्नू, ये खिलौने तुमने कितनेमें लिये हैं?”
मुन्नू बोला---“दो पेछेमें खिलोनेवाछा दे गया जे |”
रोहिणी सोचने छगी--“जितने सस्ते कैसे दे गया है, कैसे
दे सकता है ? यह तो वही जाने | लेकिन दे तो गया ही है,
जितना तो निश्चय है 0” |
अक जरा-सी बात ठहरी, रोहिणी अपने कामे कग गयी |
फिर कभी अुसे जिसपर विचार करनेकी आवश्यकता ही मरा
क्यो पड़ती ?
' छ महीने बाद ।
नगर-भरमें दो ही चार दिनोंमें ओक मुरलीवालेके आनेका
समाचार फैल गया | लोग कहने रंगे---“भाणी बाह | घुरछी बजा-
नेमे वह् ओक ही जुस्ताद दै । मुरली बजाकर, गाना ` घुनाकर, वह
मुरली बेचता भी है, सो भी दो दो पैसे | मछा जिसमे भुसे क्या
मिलता होगा | मिहनतृ भी न आती होगी ।”
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