जीवन और विचार | Jeevan Or Vichar

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Jeevan Or Vichar by देवेंद्र मुनि - Devendra Muniराजेंद्र मुनि - Rajendra Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५ हाथो मे आज यह ग्रथ है! ग्रथ की प्रत्येक श्रेष्ठता में गुरुदेवश्री कौ विशेषता ही झलकेगी और प्रत्येक दोप में मेरी अपनी दुर्बेलता। प्रस्तुत पुस्तक के लेखन में पूज्य गुरुदेवश्री देवेन्द्र मुनिजी शास्त्री की प्रबल प्रेरणा एवं दिज्ञा-निर्देश मिलता रहा जिसने मुझे निरन्तर इस कार्य में अग्रसर किया है और मेरे मार्ग को सरल किया हैं। यह मेरे इस नवीन लेखकीय जीवन का अविस्मरणीय प्रसग रहेगा । मं कृतन्तता ज्ञापित करता हूं । मेरे अग्रज श्री रमेश मुनिजी ने मेरे अन्य कार्योंमे हाथ वंटाकर इस कायं मेँ अग्रसर होने की जौ सुविधा मुञ्ञे प्रदान' की है उसे भी भूरखाया नही जा सकता । सुयोग्य सम्पादक प्रो लक्ष्मण भटनागर ने पाण्डुलिपि मे जावदयक सशोघन-सम्पादन कर जो सहयोग दिया है, उसके किए मे आभार मानता हूं । पुस्तक का रूपं कैसा बन पाया है इसका निर्णय तो पाठक ही कर पाएँगे। राजेन्द्र मुनि राजस्थानी जैन स्थानक - हठीभाई की वाडी के सामने, दिल्ली गेट के वाहर अहमदाबाद १० अक्तूबर, १९७४




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