अथ वेधरत्न भाषा टिका समेत | Ath Vaidyaratnam Bhasha Tika Samet.

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Ath Vaidyaratnam Bhasha Tika Samet. by पं ज्वालाप्रसाद जी मिश्र - Pt. Jwalaprasad Jee Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाषाटीकासमेत । (९) अध-दन्ददोपमें नेवों का रंगभी मिलादोता है, श्याम- जी चरण टेटे तन्द्रा और माहसे युक्त ॥ ३३ ॥ रीद्रंचरक्ततर्णचभवेच्नक्लुखिदोपतः । एकंचक्षुयंदाभीमंद्वितीयंमीलितंभवेत ॥ डा अर्थ-रोद्र लालवर्णके नेच चिदोपसे होते है जय एक नेच भयंकर और दूसरा मुंदाहुआ हो मिचारदे ॥ ३२४ ॥ विभिर्दिनिस्तथारोगीसयातियममान्दिरिम्‌ । ज्योतिर्विदी नसहसारोगिणोयस्यलोचनम्‌ ॥३५,॥ अर्थ-णेसा रोगी तीन दिनमें मरजाता है, जिस रोगी ्‌ के नेघ सदसा प्रकाशद्दीन हो जाय ॥ ३५ ॥ ईपत्कृप्णंसनियतंप्रयातियमशासनम । सरक्तकृप्णवर्ण धरोदशप्रेश्तेयदा ॥ ६ ॥ अप-फुछणदव श्यामषण दा ददद ऊउपश्य मरजाताद जब रक्तदर्ण फष्णदर्ण और रोद्र दष्ट धोने ठगे अर्थात लाल, फाला आर राट्रबणक रुप चस्तुआंका दाग्यन लगे ॥ ३६11 एतलिंगर्बिजानीयान्इत्युमेबनसंशयः । एकरडाटिरचतन्योश्रिमस्फूरितितारकर ॥ ३७ ॥ अर्प-तो इन चिम्दोंस रोगीकी मृत्यु जाननी इसमें संदेए नहीं सिसफी पक धाषि दोजाय अर्थात टकटकीा दोपफर दरसनेलग, बमदों, नघको साइका स्परायमान दोजाप ( झयतनसा मात दाजाय ) ॥ इ3 8 - एकरावेगनियतंपरलोकपरब्रनेन ॥ डेट ॥ हूपनसा पएगाा रागा एड दा शाध्मिं सरख्यना वा बट




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