हिंदी साहित्य : नये प्रयोग | Hindi Sahitya : Naye Prayog

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दी-साहित्य : नये प्रयोग १३ नगेन्द्र, सत्येन्द्र, शान्तिप्रिय द्विवेदी, प्रकाशचन्द गुप्त श्नौर डाक्टर रामविल्लास शर्मा आदि भी आज्ञ के विचारशील आलोचक है । जीवनी-साहित्य का परिष्कार अभी हिन्दी में उत्तना नहीं हुआ जितना कि होना चाहिए तथापि इस दिशा सें वनारसी- दास चतुर्वेदी का सत्यनारायण कविर्न श्रौर 'भारत-भक्त एण्ड्रूज' विशेष उल्लेखनीय हैं। घनश्यामदास चिडला का बापू! भी अपना विशेष स्थान रखता है। इसके अतिरिक्त आत्म-कथा-लेखन का भी हिन्दी में नया प्रयोग हो रहा है । इस सस्वन्ध में सच श्री गुलाबराय की, मेरी असफलताए' गहुल जी की 'मेरी जीवन-यात्रा! भदन्‍्त आनन्द कौशल्यायन की “जो में भूल न सका? और (जो लिखना पड़ा वियोगी हरि को 'मेरा जीवन-प्रवाह तथा डाक्टर रजेन्दरप्रसाद की ध्यात्म-कथा' आदि पुस्तके विशेष उल्लेखनीय है । स्वामो भवानीदे याल सन्यासी की अवासी की आत्म-कथ! तथा श्री हरिभाऊ उपाध्याय ক্ষী साधना के पथ पर! हिन्दी के आत्म-कथा साहित्य की अपूर्य निधि हैं | श्री मलचन्द अग्रवाल की पत्रकार की आत्म- कथा” तथा प्रो० इन्द्र विद्यावाचस्पत्ति की 'मेरी जीवन-मकिय! पत्रकारिता के विकात पर अच्छा खासा प्रकाश डालती हैं। इधर श्रो अम्ब्रिकाप्रसाद वाजपेयी, पदुमलाल पुन्नलाल वस्शी तथा श्री श्रीराम शर्मा के छुछ आत्म-चरितात्मक लेख भी पत्र- पतन्निकाओं में प्रकाशित हुए हैं । | जीवन-चरित-लेखन के अतिरिक्त रेखा-चिन्नों के अंकन की कला भी इधर नई-नई प्रचलित हुई है ! सवं श्री चनारसीदास चतुर्वेदी, राम॑जक्ष वेनीपुरी और कन्हैयालाल मिअ प्रभाकर? इस क्षेत्र में मार्ग निर्दिप्ट करते नज़र आते हैं। उस प्रत्रार




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