हम करें क्या ? | What Shall We Do Them

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भास्कों के मिलमंग दे अफसरों का हुक्म है कि इस तरह के लोग पकड़ लिये जाय इसी- लिए हमें इन्हे पकडना पड़ता है। में बाहर चला आया। पुलिसवाला जो भिखारी को पकड़कर लाया था दहलीज में खिडकी की चौखट पर बैठा उदास भाव से अपनी नोट- बुक देख रहा था । मेने पुछा-- क्या यह सच है कि भिखारियों को ईसा के नाम पर भीख मागने की मनाई है ? पुलिसवाला चौका। उसने मेरी ओर आख उठाकर घूरकर देखा और त्यौरी चढाने के वजाय ख़िडकी की चौखट पर जमकर बैठते हुए. लापरवाही के साथ उत्तर दिया-- का हुक्म हैं इसलिए ऐसा करना जरूरी है। यह कहकर वहू फिर अपनी नोट-वुक पढने में लग गया। में वाहुर बरसाती में गाडीवान के पास चला गया । मेरे पहुंचने पर गाडीवान ने मुझसे पूछा-- क्या हुआ ? क्या उन्होन उसे बन्द कर दिया ? स्पष्टत उसे भी इस मामले में दिलचस्पी थी । हा बन्द कर दिया --मैने उत्तर दिया। इसपर गाडीवान ने सिर हिलाया मानो उसे यह वात अच्छी नहीं लगी । में वोला-- क्यो भई तुम्हारे इस मास्को में ईसा के नाम पर भीख मागना कैसे मना हैं ? भगवान जाने ऐसा क्यो होता है कगले तो ईव्वर को प्यारे होते है। फिर क्यो यह भादमी पकडकर कोतवाली भेज दिया गया ? आजकल यही कानून है। भीख मागना मना है। इसके वाद मंने कई वार पुलिसवालो को भिखारियो को पकडकर पहले किसी थाने में और फिर वहासे कामघर ले जाते हुए देखा । एक वार मेने एक सडक पर इस तरह के भिखमगों की एक पूरी टोढी-की-टोली देखी जिसमे लगभग तीस भिखमगे रहे होगे। उनके आगे-पीछे पुलिसवाले चल रहे थे । मेने उनसे पूछा--




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