भारत के भौतिकी एवं अंतरिक्ष वैज्ञानिक | Bharat Ke Bhautiki Avam Antarish Vaigyanik

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Bharat Ke Bhautiki Avam Antarish Vaigyanik by कृष्ण मुरारी लाल श्रीवास्तव - Dr Krishna Murari lal Srivastava

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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শর भारत के भौतिकी एव अन्तरिक्ष वैज्ञानिक 5 महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक देने--सघनित पदार्थ भोतिक विज्ञान आर परमाणु एव सूक्ष्म कौलीजन्स के अनेक क्षेत्रो मे प्रोफेसर जोशी की देनो का व्यापक विस्तार है। उनमे से कु प्रमुख देनो का सक्षिप्त विवरण नीचे दिया जा रहा है-- धातुओ की जाली का गतिविन्नान- यह कार्य सामान्य धातुओं के कम्पन कौ तीव्रता के पारदृश्य को निश्चित करने मे इलैक्टोन की भूमिका के विस्तृत अन्वेषण से सम्बद्ध था। इलैक्टोन-फोनोन के पारस्परिक सम्बन्ध का समुचित अवबाध फोनोन्स, विद्युत सुचालकता के साथ-साथ धातुओ मे उच्च सुचालकता का पदार्थं ओर उनके योगिको के ज्ञान को स्पष्ट करना केन्द्रित है। एक साधारण धातु मे इलैक्ट्रोन-फोनोन के पारस्परिक सम्बन्ध के लिए अद्ध-दृष्टि सिद्धान्त विज्ञान का प्रतिदर्श इलैक्टोन्स कौ गैस द्वारा व्याप्त परमाणु समूहो कौ जाली के रूप मे धातु को देखना प्रस्तावित किया गया था। यह प्रतिदर्शं सामान्य धातुजी क लिए बिल्कुल सफल पाया गया था ओर कई द्वारा प्रयोग किया गया है । उत्तम ओर स्थिति के अन्तरवाली धातु मे कम्पनो के अध्ययनो मे परमाणु समूह ( विद्युत आविष्ट परमाणु) की गति (चेष्टा) के प्रति उनमे डी-इलैक्ट्रोन्स की अनुभूति साधारण धातुओ मे स्वतन्त्र इलैक्टोन्स कौ अनुभूति से बिल्कुल भन होती है । परस्पर असम्बद्ध एस ओर डी-इलैक्टोन्स का प्रतिदश उत्तम ओर स्थिति के अन्तर वाली धातुओ के लिए विद्युत धाग के प्रवेश के छटाव कार्य की गणना हेतु प्रस्तावित किया गया था। धातुजो मे विद्युत धारा के प्रवेश के छटाव का सामान्यीकृत सिद्धान्त सेइज (5112) टर्नबुल (वण8]]) और ऐहरेन्रीच (छ लालल) द्वारा सम्पादित !एडवान्सेज इन सोलिड स्टेर फिजिक्स वोल्यूम्स (/১৫%211065 10] 50110 58188 195०४ ४०७८७) ' मे प्रकाशित हआ था । व्यवस्थित ओर अव्यवस्थित प्रणालियो का इलैक्टोनिक ठोचा-उत्तम धातुओ की स्फटिक क्षमता निर्माण हेतु डी-इलैक्टोन कौ स्थानीय प्रकृति के कारण जाली के विद्युत आविष्ट परमाणु पर राप (८12 &€) के वास्तविक अनुमानो पर आधारित एक नुस्खा सुञ्ञाया गया था। इस विधि का प्रयोग चोदी ओर प्रारम्भिक - पीतल के बन्धन वाले ढोचे की गणना हेतु किया गया था। स्थानापनन रूप मे अव्यविस्थत मिश्रित धातुओं मे इलैक्टोनिक स्थितियो की समस्या अव्यवस्था की विद्यमानता के कारण बिल्कुल विषम है। एेसी मिश्रित धातुओ मे इलैक्टोनिक स्थितियो कौ प्रकृति के अध्ययन के लिए प्राफेसर जोशी ओर उनके सहकर्मियो ने कोहेरट पोरे शिअल (८०ौलल। एगलात्भ-- सम्बद्ध सक्षम) एप्रोक्सीमेशन (80010%11080107- লিক্ব্না) और एवरेज्ड (8५८०४४००) मध्यम/टी मैट्रिक्स (9011५-- सॉँचा/एप्रोक्सीमेशन




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