भ्रष्टाचार की पाठशाला | Bhrshtachar Ki Pathshala

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Bhrshtachar Ki Pathshala by सत्यप्रकाश - Satyaprakash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आसमान में सूराख करने के लिए एक छोटा गोल सगमग्मी पत्थर काफी देखभाल करके अनोखेलाल जी बाजार से खरीद लाए। आकाश मे सूराख करने के बाद एतिहासिक पत्थर कौ भूलेक पर वापस लोट आने की कोई सभावना नही थी। भविष्य मे इस एेनिहामिक पत्थर पर बड़ी-बड़ी टीका-रिप्पणिर्यो भी सभावित थी। इन पर अखवागे कः टनो काग्ज्‌ काला-पीला या लाल-नीला हो सकता था) अत एहतियात के तौर पर और मीडिया कौ सुलभता के लिए अनोखेलाल जी ने इस सगमरमरा पत्थर के चार एगिलो से चार कलड फोटो खिचवा लिये। मान्यता प्राप्त प्रकाड पंडित ज्योतिषाचार्य से शुभ-मुहूतं निकलवाया गया ओर ठीक शुभ मुहूर्तं पर एक वीडियो कैमरे सहित अनोखेलात ज' अपने मकान की सबसे ऊची छत पर चढ गए! केमरामन के अतिरिक्त साक्षी के लिए मुझे भी साथ रखा गया था। इस एेतिहासिक घटना के प्रत्यक्षदर्गी होने क लोभ अनोखेलाल जी कै घर-परिवारवाले भी सवरण नहीं कर पाए थे। वे भी दल-बल सहित छत पर आ जमे थे। अनोखेलाल जी फिर भी कुछ आशंकित-से थे। अगर पत्थर ने आकाश मे सूराख नहीं किया? इतना बडा शायर झूठ तो नहीं बोल सकता। पृथ्वीलोक की इतनी सारी जनता क्या बेबात ही शेर कौ इतने सालो से दाद दे रही है। अरे, शेर की जान उसकी यह सच्चाई ही तो है जो सारी जनता को इसका कायल किए हुए है। अनोखेलाल जी ने प्रश्नवाचक निगाह से मेरी ओर देखा मानो पूछ रहे हो, 1 मैंने मन-ही-मन एक बार शेर को फिर दोहराया! इसमे तबीयत से' पर बहुत जोर था। सो मैने आगाह किया, “पंडित जी पत्थर को तबीयत से उछालना है। अगर तबीयत से न उछाला गया तो शायर आकाश मे सूराख का जिम्मेदार नहीं होगा। अनोखेलाल जी थोडा उलझ गए। शायद मन ही मन वह भी शेर को दोहरा रहे थे और शेर मे तबीयत से के वजन की नाप-जोख कर रहे थे। सभलकर बोले “शायर ने तो सारा जोर ही तबीयत पर डाल रखा हे “तो क्या हुआ, आप भी सारा जोर तबीयत पर ही डाल दो।” मैंने सुझाव दिया। दर्शक-दीर्घा से श्रीमती जी लगभग चिल्लाईं “क्यो देरी कर रहे हो? शुभ मुहूर्त निकला जा रहा है। उछालो ना! अनोखेलाल जी ने सशय मे डूबकर फिर प्रश्न किया, “अब में इस तबीयत को कहा से लाऊ?” आकाश मे सूराख/15




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