श्री स्वामी रामतीर्थ [भाग 26] | Shri Swami Ramtirth [Bhag 26]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सत्यु क षाद. ३ जांचने वाले इज़यत मोहम्मद है, आर जिनके पास इज़रत मोहम्मद का चिन्द्द न होगा, चे नरक म डाल दिये जांयंग। दुसेर धर्मों के भी इसी प्रकार के ब्रिचार हैं, और वे कहते हैं कि सच मुर्दे चाहे कहीं भी-अमेरि का, यूगेप, अफररोका, आस्ट्रेलिया या एशिया म- व मेरे हो, श्रुगतान के लिय एक मनुष्य के हवाले कर दिये जांयगे, 'चाहे चद्द ईसा हो, चाहे भोहस्मद, चाहे घुद्, ज़ोरोआस्टर, कृप्ण, या कोई भोर व्यक्ति । अर्भों में ऋगंड़े ओर विवादे का यदी कार्ण हे! यह अन्ध विश्वास, यद्द भवोन्ध चिचार इस सेखार में अधिकांश उस रक्तपा का कारण है, जो (रफ़यात ) धर्म के नाम में किया गया हैं । इस विपय पर वेदान्त दशन का विचार तुम्हारे सामने रक्ला जायगा | चदान्त इन सब धर्मों का समन्वय कऋर देता है, और कहता दे कि दूसंर के अधिकारों को बिना दबोचे “इनमें से हरेक ठीक हो सकता हैं | आप के ठीक होने के लिंय यह ज़रूरी नहींदे कि आप अपने साइयो का गलत करें। यह बहुत वड़ा ।वषय है, ओर लगभग पक्र घंटे के शोंड से समय में बदानत दरोन को व्याख्या के अनुसार चिपय के केवल अत्यन्त मुख्य पहलुओं पर हम विचार कर सकते । इस सेसार की सब उन्नति की एक खुन्दर रेखा दे। {वक्व का सव चिक्रास ओर उन्नत एक तालचद रेखा में है।इस संसार का सब आन्दोलन वा स्फुपण स्वरवद्ध है। उठाव और गिराव, ऊच ओर नीच, एक नियमबद्ध क्रम में हुआ करते ह । जेखा कि गणित विद्या भकद करती दे कि दरेक अधिकतम ( पथ्या) के लिये एक ~




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