स्वराज्य | Swarajy

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Swarajy by शिवदान प्रसाद - Shivdaan Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ४ ) हमारो शान्ति, घेयं, ओर उत्साह तोड़ने को बलिए आक्रमण किये जाँयगे। परन्तु जिस प्रकार आपकी परीक्ता बाहर से ्ोगी वैसी हो परीक्षा भीतर से भी होगी इस समय आपकी स्वराज्य-योग्यता जाँचने के लिये आपके सामने स्वदेशी का प्रोग्राम रक्खा गया हैं। आपकी इसो सफलता पर आपकी भविष्य स्वराज्य-सम्बन्धी सफलता निर्भर है। फेवल इसी एक प्रोगाम को सफलता पका स्वराज्य दिलाने मे यथेष्ट हो सकती है। इसको पूर्ति के लिये सहयोगी या श्रसखहयोग हाने की श्रावष्यकता नदीं है! प्रत्येक देशधासी को खदर को आदर देना चाहिये ओर यथाशक्ति उसीका व्यवहार करना चादिये। यदि आपको देशद राष्ट्रीय भाव से कुछ भी प्रेम या सहानुभूति है तो आप इस प्रोऋम की शर्ते के लिये तन, मन, धन से करियद्ध हो जाइये। चाहे आप सरकारी नोऋर भी हा तो भी प्रका स्वदेशी चख घारण करना चाहिये । अब क्रियात्मक रूप से काम करने का समय आ गया है । अय सभा करने, वक्तृता सुनने, नेताओं से आदेश पाने की आशा होड़ कर प्रत्येक व्यक्ति को श्रपना कलंगय पालन करना चाहिय औःर स्वयं श्रपना नेता बनकर काय करके दिख लाना चाहिय । श्रय मुवय॑ अपनी आंखों आपने देख लिया जि जेलखातों की शागा बढाने के लिये आपके बड़े से बड़े नेता श्रामंजित किये ज्ञा रहें हैं । यही नहीं खब प्राव और श्रषना स्स्व अर्पणा कर शापक नेता भारतमाता की स्वतंत्रता पर बलिदान हो दूसरे ताक ছা यात्रा करने लगें। यदि अपने देश को स्तंजरना के लिये युद्ध करना पाप ओर दोष है और उसका विद्यारक चही नोकर- शाही हो सकती हैं, जिसकों सुधारन या नष्ठ करने के लिये युद्ध हो रहा हैं, तो ऋइना पड़ता दे कि यदि अब हमार




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