विश्व विवेक की और अध्यापकों की शिक्षा और ट्रेनिंग | Adhyapako Ki Shiksha Aur Traning

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Adhyapako Ki Shiksha Aur Traning by कुल भूषण - Kul Bhushan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(५) आवश्यक है कि अध्यापकों के साथ कार्य करने और सलाह- कारों के रूप में योगदान देने के लिए अनुसंधान-विशेषज्ञों की सहायता प्राप्त हो 1 (६) अनुसंधान की प्रत्येक मंजिल पर, अध्यापकों में यह इच्छा और क्षमता होनी चाहिए कि वे पदार्थ-विषयक निर्णय कर सकें । सहयोगी अनुसंधान की इन योजनाओं के विषय में और सविस्तार सूचना अध्यापक-शिक्षा कमीशन (अमेरिकन काउन्सिल आन एजूकेशन, वाशिगटन, डी० सी०, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ) के आठ ग्रन्थों में पाई जा सकती है, विशेषकर उन दो ग्रन्थों में जिनके शीर्षक हैँ काम-की-अ्रवधि-में अध्यापक की शिक्षा' और बालकों को समझने में अध्यापकों की सहायता करना । वे अध्यापक जो अपने काम से सीधा सम्बन्ध रखने वाली समस्याओं पर अनुसंधान में दिलचस्पी रखते हें जिसके लिए असली स्कूली-वातावरण में खोज आवश्यक है, निम्नलिखित सक्रियताएँ उपयोगी पाएँगे । इनमें से कुछ का उल्लेख पहले भी आ चुका है। (१) बालकों के विषय में अभिलेख रचना ये अभिलेख जो विवरणात्मक होंगे--व्याख्यात्मक नहीं--एक लम्बी अवधि में बालक का आचरण व्यक्त करेंगे। इनकी सहायता से अ्रध्यापक और भी ग्रच्छी तरह प्रत्येक बालक की आवश्यकताएँ पूरी कर सकने में समर्थ होगा--- और सभी बच्चों के आचरण कौ पूरी समञ्च उसमे ग्रा जाएगी । (२) दल के सदस्यों के परस्पर सम्बन्ध का 'समाज-वगे' वनाना यह एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा अध्यापक प्रत्येक बालक की भ्रावरयकताग्रों और दल के सदस्यों के पारस्परिक सम्बन्ध के विषय में अधिक स्पष्ट अंतदृष्टि पा सकता है। बालकों को इस प्रकार के प्रशइन पूछ कर जंसे कमरे में जितने भी लड़के और लड़कियाँ हैं, उनमें से किसके साथ तुम खेलना (या काम करना ) पसन्द करोगे ?' अध्यापक एेसी सूचना प्राप्त कर सकता है जो उसे दल और व्यक्ति के सारे सम्बन्ध वता दे। अ्रकेले बच्चे, भ्राकपंक बच्चे, श्रस्वीकृत बच्चे, बच्चों के उप-दलों का दल से सम्बन्ध सभी प्रकार के सम्बन्धो के विषय मे सच्ची गवाही इस प्रकार प्राप्त हो जाती है। आसानी से पता चल जाता है कि कौन से दल के सदस्य एक दूसरे से आ्राकपित हैं, ऐसी अवस्था समझने में देर नहीं लगती जिसमें एक बालक एक दल के सदस्य द्वारा अस्वीकृत किया जाता है जिसकी ओर वह श्राकषित होता है, ऐसे बालकों को पहचाना जा सकता है जो दल द्वारा १२




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